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Budget 2020 : उम्मीदों और निराशाओं के बीच सेतु सरीखा है बजट Moradabad News

बजट को लेकर शहरवासियों की आई मिश्रित प्रतिक्रिया। किसी ने सराहा तो किसी ने सिरे से नकार दिया। कोई बता रहा और प्रयास करने की थी जरूरत थी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 07:02 AM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 06:40 PM (IST)
Budget 2020 : उम्मीदों और निराशाओं के बीच सेतु सरीखा है बजट  Moradabad News
Budget 2020 : उम्मीदों और निराशाओं के बीच सेतु सरीखा है बजट Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। मौजूदा केंद्र सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपने बजट की पोटली खोल दी। कुछ ने बजट को अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला बताया तो एक वर्ग ऐसा भी था जिसने बजट को सिर्फ आंकड़ों की जुगलबंदी करार दिया। सुबह से ही देश के किसानों,युवाओं, व्यापारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों सहित सभी वर्ग की नजरें टीवी स्क्रीन पर टिकी हुई थीं। बजट को लेकर मुरादाबाद के लोगों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। दैनिक जागरण कार्यालय में हुई बजट पर चर्चा में समाज की विभिन्न धाराओं से जुड़े लोगों ने अपनी बात रखी। ज्यादातर लोगों ने आम बजट की सराहना की और वित्त मंत्री के बजट को देश और आम आदमी के हित में बताया। 

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वित्तमंत्री ने बजट के माध्यम से महंगाई पर रोक लगाने के साथ रोजगार सृजन की भी बड़ी उम्मीदें जगार्इं हैं। शिक्षा और चिकित्सा के लिए यह बजट अच्छा है।

- दीपक सक्सैना, जिला महामंत्री, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा

इस बजट को ग्रामीण भारत या किसानों का बजट कहा जाए तो ज्यादा अच्छा होगा। दुग्ध उत्पादन दोगुना करना,किसानों को बीस हजार सोलर पंप देना, किसानों की आय को दोगुना करने जैसी कई अच्छी बातें हैं बजट में।

-प्रदीप सक्सैना,प्रदेश सदस्य, भाजपा किसान मोर्चा

हर जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज जैसा बनाने की बात कहना कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं है। निजीकरण पर जोर दिया गया है जो कि देश के लिए ठीक नहीं है। हालांकि छात्रों और किसानों के लिए बजट में बहुत कुछ है।

-दुर्गा प्रसाद पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर, एमएचपीजी कॉलेज

दो से पांच करोड़ की आय पर सरचार्ज बढ़ाकर तीन फीसद करना और स्लैब में छूट अच्छी पहल है। प्राइवेट नौकरी में पेंशन या अन्य सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। इसे साधारण बजट कहा जाएगा।

- डॉ. भारत भूषण अग्रवाल,एसोसिएट प्रोफेसर,आइएफटीएम

बजट के शुरुआती घंटों में शिक्षा पर वित्त मंत्री का बोलना दर्शाता है कि सरकार की मंशा छात्रों के सर्वांगीण विकास की है। डिजिटल एजुकेशन से लैस करने की बात कही गई है। नई शिक्षा नीति से क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।

-आलोक पांडेय, कैरियर काउंसलर 

बजट में पांच ट्रिलियन इकॉनमी की बात कहना एक अच्छी पहल है। बैंकिंग सिस्टम को मजबूत किया है। बजट में ऐसे कई प्रावधान किए हैं जिससे भारतीय व्यापारी विदेशी व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो पाएंगे।

-जेपी सिंह, नेशनल जनरल सेक्रेटरी,वाईइएस 

चिकित्सा और शिक्षा को छोड़कर बजट ने निराश किया है। जवानों के लिए बजट में कुछ नहीं है। सेंट्रल फोर्सेज के लिए बजट निराश करने वाला है। कम से कम ट्रेनिंग सेंटर को तो अपग्रेड करना चाहिए।

-वीके सिंह,रिटायर्ड डिप्टी एसपी,

आंकड़ों की बाजीगरी से ज्यादा बजट में कुछ नहीं है। नई आयकर व्यवस्था में पांच लाख तक की आय पर कोई कर नहीं होने की बात कही गई है,लेकिन इसमें इतने पेंच हैं कि यह मुनाफे का नहीं घाटे का सौदा है।

-डॉ. आरके बंसल, रिटायर्ड प्रिंसिपल,ङ्क्षहदू कॉलेज

बजट की जटिलताओं को समझे बिना टिप्पणी करना थोड़ा जल्दबाजी होगा। लेकिन इतना तय है कि बजट के माध्यम से सरकार ने व्यापारियों को बड़ी राहत देने की बात कही है।

-विपुल अग्रवाल, मंडल अध्यक्ष, यूपी युवा उद्योग व्यापार मंडल

व्यापारियों के मन में कई तरह की शंकाएं थीं लेकिन, बजट आने के बाद सारे डर दूर हो गए हैं। महत्वाकांक्षी बजट में व्यापारियों को कई सुविधाएं दी गई हैं।

-विपिन गुप्ता,प्रदेश मंत्री, युवा उद्योग व्यापार मंडल

सरकार का दृष्टिकोण बजट में सकारात्मक है। टैक्स रियायतें बढ़ी हैं। आगे इसमें और छूट मिल सकती है। ट्रिपल टी से अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की बात कही गई है। उम्मीद है बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।

-अभिनव अग्रवाल, अध्यक्ष, मुरादाबाद चार्टेड अकांउटेंट 

हर नागरिक को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए कार्यक्रम की शुरुआत करना अच्छा है। कई कमियां भी हैं इस बजट में।

-विक्की अग्रवाल, मंडल कोषाध्यक्ष,इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप 

सरकार को लाभांश पर कर नहीं लगाना चाहिए। बैंक डिपोजिट इंश्योरेंस की सीमा पांच लाख की गई है,जबकि इसे एक करोड़ तक करना चाहिए। बजट में कुछ नहीं है दस में से दो अंक मैं दूंगा बजट को।

-दीपक गुप्ता,सीए 

टैक्स का नया स्लैब और पुराना स्लैब कई जगह विरोधाभासी लगता है। नए स्लैब में तभी फायदा होगा जब आपकी आया साढ़े छह लाख हो। सरकार का पूरा जोर मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने पर है। 

- बृज मोहन यादव, मैनेजर, आरएमएमई 


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