देश सेवा में दिए दोनों बेटे, खुद भी लड़े दो युद्ध
भारतीय थल सेना में 26 जून 1965 में बतौर सिपाही भर्ती होने वाले लेफ्टिनेंट वीके वाजपेयी 32 साल तक देश की सेवा कर 1996 में सेवानिवृत्त हुए।
मुरादाबाद, (प्रेमपाल सिंह): पाकिस्तान और बांग्लादेश से हुए युद्ध में शामिल रहे वीके वाजपेयी ने दोनों ही बेटों को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। एक बेटा फौज में कर्नल है तो दूसरा बीएसएफ इंस्पेक्टर, जो एनएसजी कमांडो बन गया है। कर्नल बेटे ने आदम्य साहब का परिचय देते हुए असम में नक्सलियों को मारने में वीरता पुरस्कार प्राप्त किया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया तो पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया।
भारतीय थल सेना में 26 जून 1965 में बतौर सिपाही भर्ती होने वाले लेफ्टिनेंट वीके वाजपेयी 32 साल तक देश की सेवा कर 1996 में सेवानिवृत्त हुए। 'कदम-कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए जा, ये जिंदगी है कौम की तू कौम पर लुटाए जाÓ जैसी कालजयी रचना का सृजन करने वाले वंशीधर शुक्ल की बेटी करुणा वाजपेयी से 1969 में उनका रिश्ता हुआ। लेफ्टिनेंट वाजपेयी ने पिता जंग बहादुर से जिंदगी भर कर्तव्य परायणता का पाठ पढ़ा और वही बच्चों को पढ़ाया। वहीं करुणा वाजपेयी ने दोनों बेटों को बचपन में कदम-कदम... और उठ जाग मुसाफिर भोर भई गीत सुनाए तो दोनों बेटों कृष्णकांत और अरविंद में राष्ट्रप्रेम बचपन से ही रहा। पिता के फौज में होने और खानदान में देश के प्रति जज्बे को देखकर दोनों ही बेटों ने फौज में जाने की इच्छा जताई तो पिता वीके वाजपेयी ने दोनों का मार्गदर्शन किया।
कर्नल कृष्णकांत के कंधे में लगीं दो गोली
कर्नल कृष्णकांत वाजपेयी के आदम्य साहस और पराक्रम को देख सेना ने उनको कई बार विशेष आपरेशन पर भेजा। हर आपरेशन को सफलता पूर्वक पूरा किया। असम राइफल्स में शामिल होने पर 2017 में नक्सल प्रभावित इलाके में आपरेशन में शामिल हुए। उनको सिखाया जाता था कि विजय या वीरगति, तभी तो अकेले ही तीन इनामी नक्सलियों को गोली से उड़ाया। इस दौरान कंधे में दो गोली भी लगींं। पिता वीके वाजपेयी के पास खबर आई तो वह झांसी से देखने गुहावटी अस्पताल पहुंच गए। हालचाल लिया तो बेटे कर्नल कृष्णकांत वाजपेयी ने दृढ़ होकर कहा जिंदगी का लक्ष्य विजय या वीरगति होना चाहिए, यहीं आपने भी सिखाया है। इसके बाद आशीर्वाद देकर वापस लौट आए।
बेटे को दो वीरता पुरस्कार मिले तो पिता का सिर गर्व से ऊंचा
कृष्णकांत वाजपेयी को दो वीरता पुरस्कार सेना मेडल (बार) मिले। 16 जनवरी 2016 को उनको तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मेडल दिया, इसके बाद तत्कालीन प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया। कृष्णकांत की पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में रही और कई अभियान में सहभागिता की।
बेटों के फौज में होने पर मां का फख्र
दोनों बेटों को फौज में होने पर मां करुणा वाजपेयी फख्र के साथ कहती हैं कि देश सेवा से बड़ा क्या हो सकता है। उनके पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल थे, जिनके गीत को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की सेना ने अपनाया था। वर्तमान में असम रायफल्स का विजय गीत भी है। बेटे ने बचपन से ही देश भक्ति सीखी और अपने नाना और पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए फौज में जाने की इच्छा जताई, तो उनके लिए रास्ते खुले थे।
बचपन से ही बेटों को फौज की टे्रनिंग दी
चीन से युद्ध के बाद सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए लेफ्टिनेंट (सेनि) वीके वाजपेयी ने दोनों बेटों को फौज में जाने की टे्रनिंग घर पर दी। खुद चीन, पाकिस्तान और कश्मीर में तैनात रहे। 1971 के युद्ध के बाद ईएमई (इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग) में शामिल हो गए। युद्ध के दौरान हथियार, गोला-बारूद और रसद पहुंचाने का काम करने वाली ईएमई में काम को देखते हुए सूबेदार पद मिला। बतौर लेफ्टिनेंट रिटायर हुए वीके वाजपेयी कहते हैं बेटों को ड्यूटी और कर्तव्य सिखाया। बेटा अरविंद बीएसएफ से एक हजार में से चयनित होकर एनएसजी कमांडो बनकर देश सेवा में है।
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