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Lockdown:चलते-चलते पैरों में पड़े छाले,अभी भी मंजिल है काफी दूर Moradabad News

देहरादून ऋषिकेश से आने वाले श्रमिकों की भीड़ बस अड्डे पर पहुंची। पुलिस कर्मियों ने शारीरिक डिस्टेंस का हवाला देकर कराया खाली।

By Ravi SinghEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 02:51 PM (IST)
Lockdown:चलते-चलते पैरों में पड़े छाले,अभी भी मंजिल है काफी दूर Moradabad News

मुरादाबाद,जेएनएन। चलते-चलते पैरों में छाले पड़ गए हैं और अब चलने की हिम्मत नहीं है। इसके बावजूद घर पहुंचना मुश्किल लग रहा है। अब बस के इंतजार में बैठे हैं। बस अड्डे पर आराम तक नहीं करने दिया जा रहा है। यह समस्या देहरादून, ऋषिकेश से आने वाले सैकड़ों श्रमिकों की है।

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पीतलनगरी डिपो में बस का इंतजार कर रहे शीशपाल बताते हैैं कि वह लखीमपुर खीरी जिले के लोढिया गांव के रहने वाले हैैं। गांव के 50 युवक देहरादून व ऋषिकेश के विभिन्न फैक्ट्रियों में दिहाड़ी मजदूर हैं। लॉकडाउन होने से काम बंद हो गया है। खाने का संकट उत्पन्न हो गया। घर जाने के लिए बस व ट्रेन नहीं मिली तो पैदल ही निकल पड़े, उम्मीद थी कि मुरादाबाद में बस मिल जाएगी। तीन दिन पैदल चलने के बाद देहरादून से मुरादाबाद पहुंचे। अब तो पैरों में छाले भी पड़ गए हैं। रास्ते में लोगों की मदद से खाने को थोड़ा-थोड़ा मिलता रहा। अब मुरादाबाद में लखीमपुर खीरी तक बस चलाने से मना कर दिया है। वहीं, पुलिस ने बस अड्डे से भगा रहे हैं और वह आराम भी नहीं कर पा रहे हैैं।

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक शिव बालक ने बताया कि शासन से केवल गाजियाबाद तक बसें भेजने का आदेश मिला है। शासन ने मुरादाबाद से बरेली, लखनऊ या अन्य स्थानों के लिए बस चलाने का आदेश नहीं दिया है।

बस की छत पर सवार हुए यात्री

सम्भल जिलाधिकारी ने गुन्नौर के लिए एक बस की मांग की थी। पीतलनगरी डिपो की एक बस जैसे ही गुन्नौर जाने के लिए चली, वैसे ही बस के अंदर व छतों पर यात्रियों की भीड़ सवार हो गई। इसके बाद पुलिस की मदद से यात्रियों को छत और बस के अंदर खड़े यात्रियों को उतारा गया। निश्चित शारीरिक दूरी पर यात्रियों को बैठाने के बाद बस रवाना की गई।

बसों को सैनिटाइज कर चलाया गया

दिल्ली भेजी जाने वाली बसों को पहले सैनिटाइज किया जा रहा है, उसके बाद ही उनका संचालन किया जा रहा है। चालक व परिचालकों को सैनिटाइजर व मास्क भी दिए जा रहे हैं।

गुमनाम युवक बांटते हैं खाना

बस अड्डे पर आने वाले श्रमिकों को गुमनाम युवक का खाना बांट रहे हैैं। मोटरसाइकिल पर दो युवक होते हैैं, पीछे वाले युवक के पास खाना होता है। वह युवक श्रमिक को खाना बांटकर चले जाते हैैं। इनकी पांच टीमें हैं। कहते है मानव हैं मानव सेवा कर रहे हैैं।  


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