Move to Jagran APP

बिन पानी सब सून..पानी के संकट से जूझ रहा है जिला

बिना पानी के जीवन की कल्पना असंभव है। यही वजह है कि पानी बचाने के लिए गांव की पंचायत से लेकर संसद तक तमाम योजनाएं चलाई जा रही है। इसके बाद भी पानी का दोहन और बर्बादी रूक नहीं पा रही है। देखा जाए तो अधिकतर जिलों में जल संकट बरकरार है। अपना संभल जिला भी इससे अछूता नहीं हैं। सालों से जिले के लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं। साल दर साल पानी का स्तर गिरता जा रहा है। हकीकत यह है कि जिले में आठ ब्लॉक हैं जिसमें सात तो लंबे समय से डार्क जोन में चल रहे हैं। जल स्तर सुधारने के लिए जिले में एक भी वाटर रिचार्ज सेंटर नहीं हैं। करीब बीस साल से नहर निकालने का

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 03:30 PM (IST)
बिन पानी सब सून..पानी के संकट से जूझ रहा है जिला
बिन पानी सब सून..पानी के संकट से जूझ रहा है जिला

मुरादाबाद, (मोहित सिंह)। बिना पानी के जीवन की कल्पना असंभव है। यही वजह है कि पानी बचाने के लिए गांव की पंचायत से लेकर संसद तक तमाम योजनाएं चलाई जा रही है। इसके बाद भी पानी का दोहन और बर्बादी रूक नहीं पा रही है। देखा जाए तो अधिकतर जिलों में जल संकट बरकरार है। अपना जिला भी इससे अछूता नहीं हैं। सालों से जिले के लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं। साल दर साल पानी का स्तर गिरता जा रहा है। हकीकत यह है कि जिले में आठ ब्लॉक हैं, जिसमें सात तो लंबे समय से डार्क जोन में चल रहे हैं। जल स्तर सुधारने के लिए जिले में एक भी वाटर रिचार्ज सेंटर नहीं हैं। करीब बीस साल से नहर निकालने का किसानों का संघर्ष अभी तक रंग नहीं ला पाया है। वर्ष 2011 में सम्भल को मुरादाबाद से अलग करके नया जिला बना दिया गया था। जाहिर है जब जिला बना तो यहां के लोगों की उम्मीदें बढ़ी। लोगों को लगा कि सम्भल भी अब विकास के रास्ते पर चलेगा लेकिन जल्द ही यह उम्मीदें टूटने लगी। हालात यह है कि जिले में सही तरीके से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। ऐसी ही एक समस्या पानी की है, जिसने जिले के किसानों के साथ ही आम जन तक को प्रभावित कर दिया है।

loksabha election banner

क्या है जलस्तर की मौजूदा स्थिति

सम्भल: जिले में सम्भल, असमौली, पंवासा, बनियाठेर, बहजोई, गुन्नौर, जुनावई और रजपुरा ब्लॉक है। मौजूदा समय में रजपुरा को छोड़कर सभी ब्लॉक डार्क जोन में चल रहे हैं। कुछ ब्लॉक तो 1999 से डार्क जोन में हैं। लगातार गिर रहे जलस्तर का आलम यह है कि जहां पहले तीस फिट पर पानी निकल आता था अब वहां पर अस्सी फिट पर बोरिग हो रही है। यही वजह है कि बोर कराने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। करीब बीस साल से नहर के लिए चल रहा है संघर्ष

सम्भल: जलस्तर सुधारने और बेहतर सिचाई के लिए किसान करीब बीस साल से संघर्ष कर रहे हैं। किसानों ने बिजनौर से सम्भल तक नहर खुदवाने की मांग की थी। आंदोलन ने जोर पकड़ा वर्ष 2004 में सपा शासनकाल में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। सर्वे शुरू होने के साथ ही इस प्रोजेक्ट को चौधरी चरण सिंह मध्य गंगा योजना नाम दिया गया था। वर्ष 2008 में नहर का काम शुरू हुआ। बसपा शासन होने के कारण प्रोजेक्ट का नाम बदलकर मध्य गंगा योजना कर दिया गया। शुरूआत में इस प्रोजेक्ट के लिए 1050 करोड़ का बजट बना था और पांच हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करने की तैयारी थी। बिजनौर से अमरोहा के रजबपुर तक नहर सिगल बनाने, फिर यहां से डबल कर बहजोई व चन्दौसी तक लाने की योजना है। वर्ष 2009 में सरकार ने जमीन का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया लेकिन रेट को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच तनातनी हो गई। किसानों के आंदोलन के चलते प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा। जिस कारण इसका बजट बढ़कर 2760 करोड़ हो गया। बाद में यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना में सिलेक्ट हो गया जिस कारण फिर बजट बढ़कर 4400 करोड़ हो गया। हालांकि अब 3600 हेक्टेयर ही जमीन का अधिग्रहण ही होना है। साल के आखिर तक आ सकता है पानी

नहर का निर्माण शुरू होने के साथ ही किसानों की उम्मीद जग गई थी। कवायद तेज हुई तो प्रशासन ने आश्वासन दिया कि वर्ष 2013 तक नहर में पानी आ जाएगा। फिर यह अवधि बढ़कर 2015 तक हो गई। अब अफसर 2019 के आखिर तक हर हाल में नहर में पानी आने का आश्वासन दे रहे हैं। अगर ऐसा हो जाता है तो नहर के दोनों ओर करीब तीन-तीन किलोमीटर तक जलस्तर काफी बढ़ जाएगा। बर्बादी व रिचार्ज सेंटर न होना भी वजह

जलस्तर घटने का मुख्य कारण है जिले में पानी की बर्बादी व वाटर रिचार्ज सेंटर न होना। बरसात के पानी को एकत्र करने के लिए वाटर रिचार्ज सेंटर बनाए जाते हैं। ताकि समय आने पर इस पानी का उपयोग किया जा सके। लेकिन अपने जिले में एक भी वाटर रिचार्ज सेंटर नहीं हैं जबकि पंजाब व राजस्थान में इस सेंटर के जरिए पानी को बचाया जा रहा है। यही वजह है कि वहां कि फसलें बेहतर होती है। इसके अलावा घरों में पानी की बर्बादी भी जमकर हो रही है। मोटर चलाकर लोग घंटों पानी को बहाते रहते हैं। अगर इस पानी को बचाया जाए तो जलस्तर पर काफी सुधार हो सकता है। क्या कहते हैं किसान

करीब बीस साल से नहर के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नहर आने के बाद जहां सिचाई के लिए किसानों को राहत मिलेगी वहीं जलस्तर पर भी काफी सुधार होगा। आखिरकार बीस साल से चल रहा संघर्ष अब रंग ला रहा है। प्रशासन ने इसी साल नहर चालू करवाने का आश्वासन दिया है।

वीरेंद्र चौधरी, जिला महासचिव भाकियू असली

पानी की सही व्यवस्था न होने के कारण सबसे अधिक समस्यसा सिचाई की होती है। बेहतर सिचाई न होने के कारण फसल बेहतर नहीं होती है। डार्क जोन होने के कारण बोरिग भी नहीं करवा सकते हैं। नहर शुरू हुई तो किसानों को राहत मिलेगी।

चंद्रभान सिंह,किसान जिला पहले से ही जलसंकट से जूझ रहा है लेकिन लोग पानी की बर्बादी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मोटर चलाकर घंटों गाड़ियां धोते रहते हैं। अक्सर देखते हैं कि पाइप से सड़क साफ करते हैं। इसका दुष्परिणाम ग्रामीणों व किसानों को भुगतना पड़ता है।

रूपराम सिंह,किसान बारिश में तो जल स्तर पर कुछ सुधार हो जाता है लेकिन गर्मियों में हालात यह हो जाते हैं कि नलकूप से पानी निकलना भी मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि अब अस्सी से सौ फिट पर बोरिग करवाई जा रही है। नहर शुरू हुई तो सिचाई की समस्या से किसानों को निजात मिलेगी।

ठाकुर सिह,किसान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.