पुराने शहर में मूसलधार बारिश से डूबीं बाइक व कार, मुगलपुरा थाने की गिरी दीवार
गुरुवार को मौसम की आंख मिचौली ने चौंकाया। पुराने शहर में शाम को पांच बजे आई बारिश में मुगलपुरा थाने की दीवार भी गिर गई।
मुरादाबाद, जेएनएन : गुरुवार को मौसम की आंख मिचौली ने चौंकाया। पुराने शहर में शाम को पांच बजे से एक घंटे की मूसलधार बारिश में सड़कें तालाब बन गईं, जबकि कांठ रोड पर शाम को एक बूंद बारिश नहीं हुई। बारिश इतनी तेज थी कि मुगलपुरा थाने की दीवार भरभराकर गिर गई। दो कारों पर दीवार गिरी। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। पुराने शहर में बाइक और कारें तक डूब गईं। बाइक बंद होने से पैदल खचड़ते हुए लोग निकले। दौलतबाग बिजली घर में भी पानी घुस गया, जिससे दौलतबाग से जुड़ी शहर की बिजली आपूर्ति भी बंद करनी पड़ी। नगर निगम ने दौलतबाग की नीची सड़क को बनाने का संज्ञान नहीं लिया है, जिससे कभी भी ब्लास्ट हो सकता है। तेज बारिश से पुराने शहर के ऐसे क्षेत्रों में भी जलभराव हो गया, जहां नहीं होता है। सबसे ज्यादा जलभराव अंडेबालान, झब्बू का नाला, दौलतबाग, नागफनी, कचहरी, जेल के पीछे अशोक नगर, जीएमडी रोड, बुधबाजार, पीतल बस्ती के सूरज नगर, कटघर, मकबरा, इंद्रा चौक, बुद्धि विहार, लाइनपार के विकास नगर, जयंतीपुर, करूला समेत शहर भर की सड़कें जलमग्न हो गईं। एक घंटे की बारिश में 75.8 मिमी बारिश हुई जबकि सुबह चार मिमी बारिश हुई।
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दो दिन में वर्षा 254 एमएम पानी, तापमान दोपहर को 37 तो शाम को 32 डिग्री
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : दो दिन में कुल 254 एमएम बारिश हुई है। गुरुवार को सुबह चार एमएम और शाम को पुराने शहर में 75.8 बारिश हुई। सुबह और शाम को 79.8 मिमी बारिश हुई है। तापमान भी दोपहर को 37 डिग्री था लेकिन, शाम को बारिश होने से तापमान गिरकर 32 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। गुरुवार को सुबह 11 बजे तक झमाझम बारिश हुई। बारिश रुकी तो बादल छाए रहे लेकिन, दोपहर दो बजे तेज धूप ने बेहाल कर दिया। उमस भरी गर्मी में दोपहर को लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। दो दिन बारिश से लोगों को पंखे भी सुबह के वक्त बंद करने पड़े। शाम को भी गर्मी से राहत नहीं मिली। उमस महसूस होने पर बारिश और होने की उम्मीद मौसम विशेषज्ञ भी बता रहे हैं। सावन में बारिश की अच्छी शुरुआत हुई है।
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खुशहालपुर में बाइक से गिरे लोग
जलभराव में पता ही नहीं चला कि कहां गड्ढा है और कहां सड़क। खुशहालपुर के कई घरों में पानी भी घुस गया। जिसे बाल्टी से बाहर निकाला। खाली प्लाट ताल तलैया बन गए। पीतल बस्ती सूरज नगर का भी यही हाल था। यहां भी नालों का पानी सड़क पर आ गया। ऐसा लगा जैसे एक दम बादल फट गया है।