सेवानिवृत्ति के 12 साल बाद चार्ज सौंपने पहुंचा बाबू Moradabad News
अब जब उनके खिलाफ कार्रवाई का मामला सामने आया तो वह पटल में मौजूद सभी फाइलों की जानकारी देने के साथ ही सूची सौंपने आए हैं।
मुरादाबाद,जेएनएन। कलेक्ट्रेट में भ्रष्टाचार में संलिप्तता के नए-नए प्रकरण सामने आते हैं लेकिन, ऐसा प्रकरण पहली बार सामने आया, जिसमें सेवानिवृत्त होने के 12 साल बाद बाबू को अपने पटल का कार्यभार सौंपने की याद आई हो। हालांकि यह याद भी मुकदमा दर्ज होने के डर से आई है।
एक सप्ताह पहले ही वाणिज्यकर विभाग में तैनात बाबू सोमपाल की नियुक्ति को लेकर विवाद सामने आया था। इसमें विभाग के अफसरों ने जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को पत्र भेजकर बाबू की नियुक्ति फाइल मांगी थी। जब कलेक्ट्रेट में फाइल खोजी गई तो पता चला कि साल 2011 में फाइल रद्दी कर दी गई थी। इसी मामले में जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। जिस समय फाइल को रद्दी किया गया, उस समय नियुक्ति पटल का कार्य हरी बाबू गर्ग सम्भाल रहे थे। साल 2007 में वह सेवानिवृत्त हो गए थे लेकिन, जब इस मामले की कार्रवाई शुरू हुई तो एडीएम प्रशासन ने उन्हें जवाब देने के लिए तलब किया। इसी दौरान पता चला कि साल 2005 में जब उनका नियुक्ति पटल से स्थानांतरण असलहा पटल पर किया गया था तब उन्होंने बिना चार्ज सौंपे ही कार्यभार ग्रहण कर लिया था। उसके बाद वह उसी पटल से सेवानिवृत्त हो गए थे।
कार्यभार छोडऩे का यह है नियम
कलेक्ट्रेट के किसी भी पटल से अगर बाबू का स्थानांतरण होता है, तो उस पटल से संबंधित सभी फाइलों की सूची प्रभारी अधिकारी को सौंपी जाती है। इसके साथ ही जरूरी फाइलों को आवश्कता अनुसार कोषागार के डबल लॉक में रखा जाता है लेकिन, यहां पर इस पूरी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया।
नियुक्ति की फाइल रद्दी करने के मामले में जांच की जा रही है। सेवानिवृत्त हो चुके बाबू को दोबारा बुलाकर उसके पटल के कार्यभार से संबंधित सभी दस्तावेज को हस्तांतरण करने की प्रक्रिया अमल लाई जा रही है। इस प्रकरण में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय की जाएगी।
लक्ष्मीशंकर सिंह, एडीएम प्रशासन