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Rampur Loksabha By-Election में धांधली को लेकर आजम खां के बेटे अब्‍दुल्‍ला बोले, परिणाम कुछ भी हो, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

विधायक ने कहा कि हम मतदान के दिन से ही हम कह रहे हैं कि पुलिस ने टांडा दढ़ियाल और रामपुर शहर में लोगों को वोट नहीं डालने दिए। वोट डालने आए लोगों को मारपीट कर मतदान केंद्र से भग दिया गया। इस बात के हमारे पास तमाम सबूत हैं।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 07:05 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:05 AM (IST)
Rampur Loksabha By-Election में धांधली को लेकर आजम खां के बेटे अब्‍दुल्‍ला बोले, परिणाम कुछ भी हो, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
अब्‍दुल्‍ला आजम स्‍वार विधानसभा सीट से विधायक हैं।

रामपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा उपचुनाव में टांडा में कम मतदान को लेकर आजम खां के बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम का कहना है कि पुलिस ने लोगों को वोट नहीं डालने दिए। उन्हें मारपीट कर भगा दिया। वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। भले ही नतीजे कुछ भी हो, लेकिन कोर्ट में जरूर जाएंगे।

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विधायक ने कहा कि हम मतदान के दिन से ही हम कह रहे हैं कि पुलिस ने टांडा, दढ़ियाल और रामपुर शहर में लोगों को वोट नहीं डालने दिए। वोट डालने आए लोगों को मारपीट कर मतदान केंद्र से भग दिया गया। इस बात के हमारे पास तमाम सबूत हैं। इसे लेकर हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। चुनाव के नतीजे भले ही कुछ भी हों, लेकिन हम मतदान में धांधली को लेकर याचिका दायर कर रहे हैं। हमारे वकील तैयारी में लग गए हैं। नतीजे आने के बाद याचिका दायर कर दी जाएगी। हमें चुनाव आयोग से बहुत उम्मीद थी। इसके लिए हमने लिखा-पढ़ी भी की, लेकिन इसके बाद भी चुनाव में निष्पक्षता नहीं बरती गई। ऐसा चुनाव कराने से कोई फायदा नहीं। ऐसा लगता है कि लोकतंत्र खत्म होता जा रहा है। अधिकारी तमाम चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदाताओं को जागरूक कराते रहे हैं, लेकिन इस चुनाव में एकदम उलट हो गया। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के बजाय घटाने में लग गए। एक वर्ग के लोगों को वोट ही नहीं डालने दिए। टांडा में तो एक बूथ पर मात्र 6.19 प्रतिशत वोट पड़े हैं। चार माह पहले ही विधानसभा चुनाव हुआ था तब इसी मतदान केंद्र पर इससे 10 गुना मतदान हुआ था।


कम मतदान कर टांडा ने बनाया रिकार्ड  : लोकसभा उप चुनाव में मतदान प्रतिशत जिलेभर में ही कम रहा, लेकिन टांडा ने तो रिकार्ड कायम कर दिया। यहां चार बूथों पर आठ प्रतिशत मतदान भी नहीं हो सका। एक बूथ पर तो मात्र 6.19 प्रतिशत ही वोट डाले जा सके। सपा प्रत्याशी आसिम राजा इसके लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने लोगों को मारपीटकर मतदान केंद्र से भगा दिया। वोट डालने नहीं दिए। इसलिए मतदान का प्रतिशत कम हुआ।जिले में चार माह पहले ही विधानसभा चुनाव हुआ था तब मतदान प्रतिशत 64 प्रतिशत था, लेकिन अब उप चुनाव में 41.71 प्रतिशत ही रह गया। जिले में 1706590 मतदाता हैं, जिनमें से मात्र 706440 ने ही अपने मतदान का प्रयोग किया। इस तरह 10 लाख लोगों ने वोट ही नहीं डाला। सबसे कम मतदान स्वार-टांडा और रामपुर शहर में हुआ।

टांडा के राजकीय इंटर कालेज में 13 बूथ बने हैं। इनमें मतदान बेहद कम हुआ है। बूथ संख्या 281 पर 452 वोट हैं, लेकिन यहां मात्र 28 लोग ही वोट डाल सके। इनमें छह महिलाओं और 22 पुरुषों ने वोट डाले। मतदान का प्रतिशत मात्र 6.19 प्रतिशत रहा। इसके अलावा बूथ संख्या 277 पर 17.04 प्रतिशत, 278 पर 7.75 प्रतिशत, 279 पर 7.51 प्रतिशत, 280 पर 9.28 प्रतिशत, 282 पर 9.49 प्रतिशत, 283 पर 7.22 प्रतिशत, 284 पर 19.13 प्रतिशत, 285 पर 12.49 प्रतिशत, 286 पर 16.59 प्रतिशत, 287 पर 8.79 प्रतिशत, 288 पर 17.49 प्रतिशत, 289 पर 17.99 प्रतिशत मतदान हुआ है।

रामपुर शहर में भी कम पड़े वोट: रामपुर शहर विधानसभा क्षेत्र के राजकीय सिटी उच्च प्राथमिक विद्यालय पीला तालाब में बने मतदान केंद्र के बूथ संख्या 92 पर 11.84, मदरसा फैजुल उलूम थाना टीन में बूथ संख्या 101 पर 17.33, बूथ संख्या 102 पर 16.42 प्रतिशत मतदान हुआ। हामिद इंटर कालेज में बने बूथ संख्या 104 पर 14.89 प्रतशित वोट डाले गए। इसी तरह खटकान के मतदान केंद्र पर मतदान बहुत कम हुआ। यहां एक बूथ पर तो 8.52 प्रतिशत लोगों ने ही वोट डाले। चमरौआ विधानसभा क्षेत्र के स्टूडेंट एकेडमी में बने मतदान केंद्र पर भी मतदान बहुत कम हुआ। यहां बूथ संख्या 93 पर 7.19 और बूथ संख्या 94 पर 10.63 प्रतिशत लोगों ने ही मतदान का प्रयोग किया। सैंजनी नानकार रामपुर शहर से ही सटा हुआ है।

इस चुनाव में सबसे कम मतदान: रामपुर में अब तक जितने भी लोकसभा चुनाव हुए हैं, उनमें सबसे कम मतदान इस बार हुआ है। 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तब मौलाना अबुल कलाम आजाद रामपुर से सांसद चुने गए थे। वह देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। उस चुनाव में 48.22 प्रतिशत वोट पड़े थे। इसके बाद 1957 में 46.34 प्रतिशत, 1962 में 49.33 प्रतिशत, 1967 में 67.16 प्रतिशत, 1971 में 65.08 प्रतिशत, 1977 में 67.03 प्रतिशत, 1980 में 55.26 प्रतिशत, 1984 में 65.71 प्रतिशत, 1989 में 53.53 प्रतिशत, 1991 में 57 प्रतिशत, 1996 में 58.06 प्रतिशत, 1999 में 62.07 प्रतिशत, 2004 में 57.10 प्रतिशत, 2009 में 52.50 प्रतिशत, 2014 में 54.27 प्रतिशत, 2019 में 63.26 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस बार मात्र 41.71 प्रतिशत मतदान हुआ।


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