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कानूनी शिकंजे में बुरी तरह फंस गए आजम खां, जानिए कैसे बढ़ती गईं मुश्किलें Rampur News

अजीमनगर में किसानों की जमीन कब्जाने या शहर कोतवाली में मकानों पर बुलडोजर चलाने के मुकदमे में एक जैसी धाराएं हैं। इनमें एक साथ जमानत पर सुनवाई हुई तो जल्दी बाहर आ सकते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 08:12 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 08:12 AM (IST)
कानूनी शिकंजे में बुरी तरह फंस गए आजम खां, जानिए कैसे बढ़ती गईं मुश्किलें  Rampur News
कानूनी शिकंजे में बुरी तरह फंस गए आजम खां, जानिए कैसे बढ़ती गईं मुश्किलें Rampur News

रामपुर, जेएनएन।  सांसद आजम खां जनता की अदालत में जीतते रहे। नौ बार शहर विधायक रहे। सांसद भी बन गए, लेकिन कानून की अदालत में बुरी तरह हार गए। कानूनी शिकंजे में ऐसे फंसे कि खुद ही नहीं, बल्कि बेटे और पत्नी को भी जेल ले गए। 

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यह है पूरा मामला 

छात्र राजनीति से सियासत में आए आजम खां लंबे समय से सियासी बुंलदी पर छाए हैं। इमरजेंसी के दौर में वह 19 महीने जेल में रहे थे। इसके बाद रामपुर शहर से विधायक का चुनाव लड़े। 1977 में पहला चुनाव हार गए, लेकिन 1980 में दूसरा चुनाव जीत गए। इसके बाद वह लगातार पांच बार चुनाव जीते। 1996 में हारे तो कुछ दिन बाद ही सपा ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया। इसके बाद फिर हुए विधानसभा चुनाव में लगातार चार बार जीते। पिछले साल पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और जीत गए। इस तरह वह रामपुर से नौ बार विधायक चुने गए। सपा शासनकाल में आठ विभागों के मंत्री रहे। ताकत इतनी कि सेवानिवृत शिक्षिका पत्नी को भी राज्यसभा सदस्य बनवा दिया। छोटे बेटे अब्दुल्ला को भी विधानसभा चुनाव लड़ा दिया। वह रिकार्ड वोटों से चुनाव भी जीत गए। 

अब्दुल्ला के विधायक बनते ही आजम की शुरू हो गईं मुश्किलें

बेटे अब्दुल्ला के विधायक बनने के साथ ही आजम की मुश्किलें शुरू हो गईं। अब्दुल्ला की उम्र का विवाद पैदा हो गया। उनके मुकाबले चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने उनकी उम्र कम होने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की। तब नवेद मियां के पास कोई मजबूत साक्ष्य नहीं था। इस कारण उनका नामांकन पत्र खारिज नहीं हो सका। इसके बाद भी नवेद मियां ने पीछा नहीं छोड़ा। हाईकोर्ट में रिट दायर की। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की विधायकी ही रद कर दी। अब इस मामले में 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। दूसरी ओर अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र बनावाने के मामले में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने अब्दु्ल्ला के खिलाफ पुलिस में भी मुकदमा करा दिया। इसमें आजम खां और उनकी पत्नी तजीन फात्मा को भी आरोपित किया। 

बैरक नंबर एक में रहेंगे आजम और अब्दुल्ला

कचहरी से आजम खां, अब्दु्ला और तजीन पात्मा पुलिस की एक ही कार से जेल पहुंचे, लेकिन जेल के अंदर जाकर अलग हो गए। आजम और अब्दुल्ला को बैरक नंबर एक में रखा गया है, जबकि तजीन फात्मा महिला बैरक में रहेंगी। ये तीनों आपराधिक केस में हैं, इसलिए जनप्रतिनिधियों वाली सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी। 

आसान नहीं है जेल से बाहर निकला

बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष श्याम लाल का कहना है कि जिस मामले में सांसद आजम खां को जेल जाना पड़ा है, उसमें दो मार्च को सुनवाई होनी है। यदि इस मामले में स्थानीय अदालत से जमानत नहीं मिली तो उन्हें हाईकोर्ट जाना होगा। हालांकि जेल से बाहर आने के लिए अब उन्हें सभी मुकदमों में जमानत करानी होगी। उनके खिलाफ ज्यादातर मुकदमे एक जैसे अपराधों के हैं। 


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