मुसीबत के दौर में भी सांसद आजम खां का जलवा कायम Rampur News
आजम खां नामांकन के बाद ही वह शहर के लोगों के सामने आए और अपने ऊपर जुल्म करने के आरोप लगाते हुए कई बार रोए भी।
मुस्लेमीन (रामपुर)। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां का रामपुर की सियासत में आज भी जलवा कायम है। संगीन धाराओं में मुकदमे, भू-माफिया का कलंक, ईडी और एसआइटी जांच के बावजूद पत्नी को चुनाव जिताने में सफल रहे। यह चुनाव जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि हालात कितने ही खराब हों लेकिन, उन्हें रामपुर की सियासत में मात देना आसान नहीं है।
प्रशासन भू-माफिया तक घोषित कर चुका है
यही कारण है कि रामपुर शहर विधानसभा सीट से आजम खां नौ बार विधायक रहे हैं। सूबे में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह कई-कई विभागों के मंत्री रहे। राज्यसभा सदस्य भी बने और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी बने। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा से और दोस्त नसीर अहमद खां चमरौआ से विधायक हैं। आज भी रामपुर में पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा है। उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा राज्यसभा सदस्य हैं। इस साल आजम खां पहली बार लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़े और जीत गए। सांसद बनने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव हुआ। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी को सपा प्रत्याशी बनवाया, जो चुनाव जीत गईं। उन्होंने यह चुनाव ऐसे दौर में जीता है, जब वह मुसीबतों में घिरे हैं। उनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, लूटपाट, मकान तोडऩे, जमीनें कब्जाने, गाय, भैंस, बकरी, किताब चोरी के मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कई मामलों में उनके वारंट भी हैं। प्रशासन उन्हें भू-माफिया तक घोषित कर चुका है। ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। जांच पड़ताल के लिए उन्हें बार-बार एसआइटी भी तलब करती रही है। कभी लखनऊ तो कभी रामपुर में एसआइटी के सामने पेश हुए। एसआइटी उनकी बहन को भी पूछताछ के लिए थाने ले गई। उनकी पत्नी और बेटों से भी पूछताछ की गई। उनके परिजनों और करीबी लोगों पर भी मुकदमे दर्ज कराए गए। उनके तमाम करीबी नेता शहर छोड़ गए। आजम भी ढाई महीने शहर से बाहर रहे। 30 सितंबर को नामांकन के दिन ही वह रामपुर आए। हालांकि पत्नी का नामांकन कराने के लिए कलेक्ट्रेट तक नहीं पहुंचे। उस दिन भी वह एसआइटी के सामने पेश हुए। नामांकन के बाद ही वह शहर के लोगों के सामने आए और अपने ऊपर जुल्म करने के आरोप लगाते हुए कई बार रोए भी।
बिना बस्ते के जीते
मतदान के दिन सपा के अधिकतर बूथों पर बस्ते ही नहीं थे। उनकी पत्नी और बेटे ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके समर्थकों को पीटकर भगा रही है। बस्ते भी नहीं लगाने दे रही है और वोट डालने से भी रोक रही है। इस सबके बावजूद उनकी पत्नी चुनाव जीत गईं। यह चुनाव जीतकर आजम ने रामपुर शहर की सियासत में तो अपना दबदबा कायम रखा ही, पार्टी नेताओं को भी यह अहसास करा दिया कि मुसीबत के दौर में भी उनकी मजबूत पकड़ है।