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जेल से रिहाई के लिए मौत का इंतजार

मुरादाबाद कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहे वृद्ध बंदी अब अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 02:25 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 02:25 PM (IST)
जेल से रिहाई के लिए मौत का इंतजार
जेल से रिहाई के लिए मौत का इंतजार

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी)। कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहे वृद्ध बंदी अब अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। जिला कारागार में लगभग 21 ऐसे बंदी हैं जो 70 से 100 वर्ष के बीच के हैं। इन बंदियों की हालत ऐसी है कि जेल प्रशासन को दिनरात इनकी चिंता सताती रहती है। उम्रदराज बंदियों की रिहाई को लेकर अभी तक शासन स्तर पर नहीं हुआ निर्णय

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कारागार में दो बंदी सौ साल की उम्र तक पहुंचने वाले हैं। इन बंदियों की रिहाई के लिए कई बार जेल प्रशासन ने शासन को पत्र लिखा है लेकिन बंदियों की रिहाई को लेकर कोई जवाब शासन से नहीं आया। जब भी सरकार उम्रदराज बंदियों को रिहा करने की बात करती है,उस समय इनकी आखों में चमक आ जाती है। जेल प्रशासन की ओर से पत्राचार भी शुरू होता है,लेकिन आज तक इनकी रिहाई को लेकर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए। अब इन बंदियों को जेल से रिहा होने के लिए केवल अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। जेल की क्षमता साढ़े छह सौ बंदियों की, हैं साढ़े तीन हजार मौजूदा समय में कारागार में साढ़े तीन हजार बंदी हैं। जेल की क्षमता साढ़े छह सौ बंदियों की है। बीस बैरकों में ठूंस-ठूंस कर बंदी भरे हुए हैं। क्षमता से छह गुना अधिक बंदी होने के कारण जेल की व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ता है। अफसर कई बार बंदियों की संख्या को कम करने के लिए प्रयास करते हैं,लेकिन उनका कदम सार्थक नहीं हो पाता है। उम्रदराज बंदियों की मांगी जानकारी

शासन स्तर पर एक बार फिर उम्रदराज बंदियों के बारे में जानकारी मांगी है, जिसमें 80 से 100 साल की उम्र के बंदियों के बारे में जेल प्रशासन ने शासन को जानकारी भेज दी है। यह ऐसे बंदी हैं, जो अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो सकते हैं। अफसर भी चाहते हैं कि इन बंदियों को जो भी जिंदगी अब शेष है,वह अपने परिवार के बीच में जाकर बिताएं। हालांकि शासन ने दो अक्टूबर के मौके पर उम्रदराज बंदियों को छोड़ने के संबंध में योजना बनाई है। यह बात कितनी सार्थक होगी यह आने वाले वक्त में ही पता चलेगी।

छह बंदियों की हो चुकी मौत

कारागार में बीते एक वर्ष में छह बंदियों की कारागार में मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बंदियों की मौत बीमारी के कारण हुई है। इलाज के दौरान या फिर सर्दियों में बंदी मौत का शिकार हुए हैं। मरने वालों में ज्यादातर उम्रदराज बंदी शामिल थे।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसएचएम रिजवी का कहना है उम्रदराज बंदियों के संबंध में शासन स्तर पर जानकारी मांगी गई है। जेल में मौजूदा समय में 60 से 100 वर्ष के बीच उम्रकैद की सजा काट रहे 21 बंदी हैं। इनमें कुछ बंदी शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हैं। उम्रदराज बंदियों की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाता है।


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