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मुरादाबाद में पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद ब्लाक प्रमुख पद के लिए सियासी घमासान, दावेदार बैठा रहे समीकरण

भगतपुर ब्लाक के प्रमुख पद पर कई लोगों की नजर है। भाजपा भी इस बार मजबूत प्रत्याशी लाने की तलाश कर रही है। सपा से पुराने ब्लाक प्रमुख की ही दावेदारी सबसे मजबूत है। डिलारी से कई बार सियासी परिवार ब्लाक प्रमुख की दावेदारी कर चुके हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 12:20 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 12:20 PM (IST)
सभी आठों ब्लाकों में होने लगी खेमे बंदी।

मुरादाबाद, जेएनएन। जिले के आठों विकास खंडों के पंचायत चुनाव के नतीजे आने के बाद ब्लाक प्रमुख पद के लिए सियासी घमासान शुरू हो गए हैं। प्रमुख पद के लिए सियासी खेमेबंदी होने लगी है। दावेदारों ने बीडीसी से संपर्क साधने के बाद उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए लुभाने का काम भी शुरू कर दिया है। कोई वोट के बदले बाइक तोहफे में देने की बात कर रहा है तो किसी ने ब्लाक प्रमुख पद पर बैठने के लिए दूसरी तरह के लालच देने शुरू कर दिए। लेकिन, ब्लाक प्रमुख का ताज किसके सिर सजेगा अभी यह कहना मुश्किल है।

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मूढ़ापांडे ब्लाक प्रमुख पद इस बार आरक्षित है। इसलिए यहां लड़ाई उतनी दमदारी से नहीं होगी। लेकिन, दोनों की खेमों के लोग अपने-अपने पसंद का ब्लाक प्रमुख बनाने के लिए अभी से तैयारी करने लगे हैं। कुंदरकी अनारक्षित ब्लाक है। यहां ब्लाक प्रमुख के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। निवर्तमान ब्लाक प्रमुख के परिवार में पिछली बार जिला पंचायत सदस्य भी थे। लेकिन, इस बार ओंकार सिंह को भाजपा ने टिकट ही नहीं दिया। ब्लाक प्रमुख पद पर कुंदरकी विधायक के पुराने करीबी ने इस बार दावेदारी अभी से कर दी है। इसके अलावा भी और कई नाम सामने आ रहे हैं। बिलारी में मुरादाबाद के पूर्व ब्लाक की पत्नी का दावा सबसे अधिक मजबूत बताया जा रहा है। सत्ता से जुड़े नेताओं के कहने पर ही उन्होंने अपनी पत्नी को बिलारी से बीडीसी का पर्चा भरवाया था। इतना ही नहीं उन्हें निर्दलीय जीत भी दिला दी। भगतपुर ब्लाक के प्रमुख पद पर कई लोगों की नजर है। भाजपा भी इस बार मजबूत प्रत्याशी लाने की तलाश कर रही है। सपा से पुराने ब्लाक प्रमुख की ही दावेदारी सबसे मजबूत है। डिलारी से कई बार सियासी परिवार ब्लाक प्रमुख की दावेदारी कर रहे हैं। ठाकुरद्वारा में भाजपा के कद्दावर नेता के चहेते को ब्लाक प्रमुख बनना है। इसके लिए उनके करीबी का नाम सामने आ रहा है। छजलैट ब्लाक प्रमुख पद के भी कई दावेदार हैं। लेकिन, अभी नाम तय नहीं है। बहरहाल जिन लोगों को चुनाव लड़ना है, उन्होंने सियासी दलों के अलावा बीडीसी सदस्यों से संपर्क करके उन्हें लुभाने का काम शुरू कर दिया है।

कई बड़े नेता अपनी सीट बचाने में रहे नाकाम

पंचायत चुनाव की सियासी जंग में कई बड़े नेता अपनी प्रतिष्ठा बचाने में नाकाम रहे। पंचायत चुनाव में सपा के विधायकों की जिद की वजह से पार्टी को अध्‍यक्ष पद का प्रत्याशी तलाशने में दिक्कत हो रही है। इन दोनों की विधायकों ने अपने परिवार की बहुओं को एक ही वार्ड से लड़ाकर सियासत में एक नई खाई बना ली। इसके अलावा भाजपा सरकार में मंत्री और विधायक भी अपनी विधानसभा सीटों को नहीं बचा पाए। पूर्व विधायक रिजवान उल हक की पत्नी चुनाव हार गईं। बिलारी विधायक के चाचा को उनके साले ने ही ग्राम प्रधानी का चुनाव हरा दिया। इसी तरह से और भी कई नेताओं को अपनी सीट ही बचाने मुश्किल हो गई है।


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