दस साल में बंद हो गए 20 क्रेशर, किसानों की मुश्किलें बढ़ीं Amroha News
जिले में पिछले 10 साल में ही करीब 20 क्रेशर बंद हो गए तथा महज चार नए क्रेशर ही शुरू हो पाए हैं। इसने गन्ना किसानों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
अमरोहा, जेएनएन : चीनी मिलों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने की वजह से पिछले दस साल में ही करीब 20 क्रेशर बंद हो गए। जबकि महज चार नए क्रेशर ही शुरू हो पाए हैं। वैसे मौजूदा समय में जनपद में 101 कारोबारियों के पास क्रेशर उद्योग का लाइसेंस हैं लेकिन, इनमें से केवल 15 क्रेशर ही संचालित हैं। जबकि 23 इकाइयां गुड़ की संचालित हैं। जिले में संयुक्त कार्यालय खांडसारी निरीक्षक के दो कार्यालय हैं, एक गजरौला में तो दूसरा अमरोहा में संचालित है। क्रेशर उद्योग के खात्मे का एक कारण ये भी है कि वह संसाधन के मामले में चीनी मिलों के आगे नहीं ठहरते। गन्ने का रेट भी ठीकठाक है। हालांकि कई साल से गन्ने के रेट नहीं बढ़ पाए हैं। मौजूदा पेराई सत्र भी शुरू हो चुका है और सरकार की ओर से गन्ना मूल्य का एलान अभी नहीं किया गया है। पिछले पेराई सत्र में अगैती प्रजाति का रेट 325 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल, सामान्य का 315 तथा रिजेक्ट प्रजाति का 310 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल रहा था। भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष चौ.उम्मेद ङ्क्षसह कहते हैं कि पेराई शुरू हो चुकी है लेकिन, अभी रफ्तार नहीं पकड़ पाई है, जबकि किसानों को खेत खाली करके गेहूं की बुवाई की जानी है। मुरादाबाद मंडल सहायक चीनी आयुक्त ब्रजेश कुमार ने बताया कि संसाधनों के मामलों में खांडसारी इकाईयां चीनी मिलों के सामने टिक नहीं पा रही हैं। जिसकी वजह से पिछले दस साल में करीब 20 क्रेशर उद्योग बंद हो चुके हैं, हालांकि करीब 101 कारोबारियों के पास क्रेशर का लाइसेंस हैं, जो परिस्थितियां अनुकूल होने का इंतजार कर रहे हैं।