खुले में शौच मुक्त करने को गांव-गांव बजेगी सीटी
रईस शेख, मुरादाबाद : गांव, देहात और शहरों में फैली गंदगी लोगों के लिए अभिशाप बनती जा रही है। गांवो
रईस शेख, मुरादाबाद :
गांव, देहात और शहरों में फैली गंदगी लोगों के लिए अभिशाप बनती जा रही है। गांवों के गलियारे गंदगी से अटे हैं तो शहरों की गलियां व सड़कें सफाई व्यवस्था की पोल खोल रही हैं। सुरक्षित स्कूल, स्वास्थ्य सेवा व अन्य विभागों के कार्यालय में भी गंदगी का साम्राज्य है। गांव में सफाई कर्मचारियों ने जाना बंद कर दिया है और शहरी क्षेत्र में सफाई कर्मचारियों की कमी गंदगी को बढ़ावा दे रही है। फिलवक्त गांवों में सफाई और स्वच्छता की अलख जगाने के लिए पंचायत महकमे ने कदम बढ़ाया है। लेकिन शहरी क्षेत्र में स्वच्छता दम तोड़ती नजर आ रही है। मौजूदा स्थिति में ग्राम पंचायतों को ओडीएफ बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जिसके तहत निगरानी समितियां के कार्यकर्ता तड़के चार बजे गांव में पहुंचेंगे और खुले में शौच को जा रहे व्यक्ति को सीटी बजा कर रोकेंगे। उन्हें ये एहसास कराया जायगा कि आप जिस नित्य क्रिया के लिए घर से बाहर जा रहे हैं वह गांव की साफ-सफाई व स्वच्छता के लिए कलंक तो है ही सेहत के लिए भी बेहद खतरनाक है।
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खुले में शौच से होती हैं घटनाएं
शोध में यह साबित हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश बलात्कार, छेड़छाड़ की घटनाएं खुले में शौच जाने से होती हैं। नेशनल कोआर्डिनेटर विनोद मिश्र के मुताबिक घर-घर शौचालय बनने से इन पर रोक लग जाएगी।
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महिलाएं पीती हैं कम पानी
उप निदेशक पंचायत महेंद्र सिंह की मानें तो महिलाएं घर से कम पानी पीकर निकलती हैं। इसका कारण खुले में शौच जाने से छुटकारा पाना होता है। शहरी क्षेत्रों में शौचालय न होने से महिलाओं को और भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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गांवों का चयन-
फिलवक्त जनपद की 20 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ की श्रेणी में शामिल करने की कार्रवाई शुरू की गई है। जिनमें काफियाबाद, नगला बनवीर, बीरपुरथान, दलपतपुर, सिंकदरबाद, कुचावली, काजीखेड़ा, मंसूरपुर, फत्तनपुर, बगरौआ, बकैनिया माफी, शाहपुर अब्दुलबारी, अलीपुर कुई, अक्का भीकन, चमरौआ, खानपुर लक्खी शमिल हैं।
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हर महीने होगी निगरानी-
यूनिसेफ के मंडलीय कोआर्डिनेटर मनोज शुक्ल व जिला कोआर्डिनेटर फरहीन मुबीन के मुताबिक खुले में शौच मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम की निगरानी हर महीने की जाएगी। शौचालयों का इस्तेमाल कराने पर जोर दिया जाएगा।
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दिसंबर तक जनपद की सभी ग्राम पंचायतों को ओडीएफ बनाने का मंसूबा है। दो दर्जन ग्राम पंचायतें एक पखवाड़े में ओडीएफ हो सकती हैं।
डॉ. उज्जवल कुमार, सीडीओ