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आत्मबल व साहस के प्रतीक थे यदुनाथ

चार बार विधायक रहे स्व. यदुनाथ सिंह के आत्मबल और साहस को याद करते हुए लोग नहीं थक रहे हैं। किसान हो या गरीब किसी के खिलाफ भी अन्याय होने की जानकारी मिलते ही वह हर प्रकार से उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते थे। दूसरों की समस्या को वह खुद का महसूस करते थे जिस वजह से वह कर्मठ और लोकप्रिय नेता के रूप अपनी पहचान बना लिया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 06:10 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:10 PM (IST)
आत्मबल व साहस के प्रतीक थे यदुनाथ

जासं, अहरौरा (मीरजापुर) : चार बार विधायक रहे स्व. यदुनाथ सिंह पटेल के आत्मबल और साहस को याद करते हुए लोग नहीं थक रहे हैं। किसान हो या गरीब किसी के खिलाफ भी अन्याय होने की जानकारी मिलते ही वह हर प्रकार से उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते थे। दूसरों की समस्या को वह खुद का महसूस करते थे जिस वजह से वह कर्मठ और लोकप्रिय नेता के रूप अपनी पहचान बना लिया था।

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उन दिनों को याद करते हुए किसान नेता सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष अस्सी में जब यदुनाथ सिंह विधायक बने तो क्षेत्र के कुम्हिया गांव में पुलिस द्वारा शोषण करते हुए कुछ गरीबों को फर्जी मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया गया। जिसमें यदुनाथ सिंह गांव पहुंच गए और सैकड़ों ग्रामीणों को साथ लेकर अहरौरा थाने का घेराव किया। तत्कालीन एसपी मौके पर आए और मुकदमे को वापस लेने का आश्वासन दिया तब जाकर वह मौके से हटे। भाकियू के जिलाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 85 में पुलिसिया उत्पीड़न को लेकर एक बार सोनपुर की घाटी में ग्रामीणों और पुलिस के बीच पथराव हो गया था। जिसमें वह ग्रामीणों की आवाज बनकर सामने आए और पुलिस को झुकने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने बताया कि किसानों के हित के लिए भी यदुनाथ बाबू जी ने बहुत से कार्य किए हैं। अहरौरा जलाशय से 42 गांव की सिचाई के लिए नहर तो बना दिया गया था लेकिन नहर की ऊंचाई ज्यादा होने पर किसानों के खेतों में पानी टेल तक नहीं पहुंच पाता था। उस समय तत्कालीन सिचाई मंत्री पं. लोकपति त्रिपाठी सिचाई मंत्री हुआ करते थे। उस दौरान यदुनाथ सिंह ने एक पखवारे तक आंदोलन चलाकर हाई चैनल की खुदाई कराया तब जाकर इन गांवों में सिचाई के लिए पानी पहुंचना शुरू हुआ। इसी के साथ बिजली सहित अन्य मामलों में उनके द्वारा किए गए साहसिक कार्यों की क्षेत्र में काफी चर्चा हो रही है कि इनके जैसा न कोई नेता हुआ था और न ही होगा।


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