एनपीएस की कटौती न होने से हजारों का भविष्य अंधकार में
पूरे देश व प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद हुई नई भर्तियों के कर्मचारी, अधिकारी अथवा शिक्षकों के भविष्य पर सवालिया निशान लग रहा है। पुरानी पेंशन योजना तो उनके लिए बंद कर ही दी गई है और सरकार की नई पेंशन योजना (एनपीएस) का लाभ भी उनको नहीं मिलता दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पूरे देश व प्रदेश में वर्ष 2004 के बाद हुई नई भर्तियों के कर्मचारी, अधिकारी अथवा शिक्षकों के भविष्य पर सवालिया निशान लग रहा है। पुरानी पेंशन योजना तो उनके लिए बंद कर ही दी गई है और सरकार की नई पेंशन योजना (एनपीएस) का लाभ भी उनको नहीं मिलता दिख रहा है। अनुमान के मुताबिक लगभग तीन फीसद (एनपीएस) लोगों के वेतन से कटौती की जा रही है लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यह कटौती का धन कहां जा रहा है, इसका विभागीय अधिकारी को भी पता नहीं है।
एक अनुमान के मुताबिक पूरे जिले में लगभग 10 हजार ऐसे अधिकारी, कर्मचारी अथवा शिक्षक हैं जो इस दायरे में आते हैं। इनमें से लगभग चार हजार शिक्षक (प्राथमिक अथवा माध्यमिक), डेढ़ हजार के लगभग सफाई कर्मचारी व शेष विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी हैं। नियमत: एनपीएस के तहत संबंधित कर्मचारियों के वेतन से दस फीसद की कटौती की जाती है और उतनी ही राशि सरकार अपनी तरफ से मिलाकर कर्मचारी के आवंटित खाते में जमा करती है। इसके लिए विशेष रूप से बनाए गए प्रान संख्या आवंटित किए जाते हैं। लेकिन कर्मचारियों का आरोप है कि अभी तक सभी के प्रान अकाउंट ही नहीं बन सके हैं। जिनके बने भी हैं उनकी कटौती का धन कहां जा रहा है, यह उनको तो मालूम ही नहीं है। इसके साथ ही उनके विभागीय अधिकारी को भी इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसीलिए है पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर जोर
इस अनिश्चितता के चलते अधिकांश कर्मचारी व शिक्षक पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर जो दे रहे हैं। यहां तक की बेसिक शिक्षा विभाग अथवा अन्य जगहों पर अभी तक प्रान का आवंटन ही नहीं हो सका है। इससे लोगों को भविष्य का संकट सता रहा है। आल टीचर्स एंड इम्प्लायी वेलफेयर एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष अंजना ¨सह का कहना है कि इस संबंध में सरकार को सक्रिय होना होगा और पुरानी पेंशन योजना की बहाली होनी चाहिए।