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देव दीपावली पर विध्यधाम जगमग, सांस्कृतिक भजनों में डूबे श्रद्धालु

प्रबोधिनी एकादशी देव दीपावली के शुभ अवसर पर मां विध्यवासिनी धाम की छटा निराली रही। लाखों दीपों से मंदिर परिसार सीढि़यां व गंगा घाटों पर मानों तारों का जमघट लग गया हो। इसी क्रम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई तो श्रद्धालु भक्ति गीतों में गोता लगाते रहे। देर रात बही सुरों की धारा में बार-बार तालियों की गड़गड़हाट से विध्यक्षेत्र गुंजायमान होता रहा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 07:44 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 07:44 PM (IST)
देव दीपावली पर विध्यधाम जगमग, सांस्कृतिक भजनों में डूबे श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, विध्याचल (मीरजापुर) : प्रबोधिनी एकादशी देव दीपावली के शुभ अवसर पर मां विध्यवासिनी धाम की छटा निराली रही। लाखों दीपों से मंदिर परिसार, सीढि़यां व गंगा घाटों पर मानों तारों का जमघट लग गया हो। इसी क्रम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई तो श्रद्धालु भक्ति गीतों में गोता लगाते रहे। देर रात बही सुरों की धारा में बार-बार तालियों की गड़गड़हाट से विध्यक्षेत्र गुंजायमान होता रहा।

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मंदिर परिसर में देशी घी व तिल के तेल से दीप जलाए गए और यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी इस सुअवसर का लाभ उठाकर दीपदान किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत वाराणसी से आए गायक अमरेश शुक्ला के प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी से किया। इसके बाद आदि शक्ति विध्याचल राउर धाम के माध्यम से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। वहीं प्रयागराज से आई गायिका राधा केसरवानी ने निमिया की डरिया मैया गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मुंबई से आए कलाकार राधा श्रीवास्तव व अमित रंजन श्रीवास्तव की टीम ने एक से बढ़कर एक गीत सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के आयोजक पं. शेखर शरण उपाध्याय की देखरेख में प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी अनवरत चलता रहा। कार्यक्रम का संचालन पंकज अग्रहरि व संजय चौरसिया ने किया और राजन पाठक आदि लोग मौजूद रहे।

दीपों से जगमगाता रहा विध्यक्षेत्र

शाम होते ही विध्याचल में देव दीपावली की जो शोभा दिखी वह अतुलनीय रही। कार्यक्रम के आयोजक पं. शेखर शरण उपाध्याय ने बताया कि मां की महिमा बखान करने का यह सुवअवसर कोई नहीं छोड़ना चाहता। इसी का नतीजा रहा कि देर रात तक भक्ति गीतों की गंगा बहती रही और श्रद्धालु भाव विभोर होकर उसका आनंद लेते रहे। दीपों से जगमगाते विध्याचल मंदिर की शोभा देखते ही बन रही थी।


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