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विश्वनाथ कारिडोर की तर्ज पर विध्य कारिडोर की कवायद तेज

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर की तर्ज पर मां विध्यवासिनी मंदिर कारिडोर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। योजना के अनुसार मंदिर के चारों ओर गोलाई में घेरा बनाया जाएगा और सभी गलियों व रास्तों को चौड़ा करते हुए उसमें मिलाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 06:35 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:53 PM (IST)
विश्वनाथ कारिडोर की तर्ज पर विध्य कारिडोर की कवायद तेज
विश्वनाथ कारिडोर की तर्ज पर विध्य कारिडोर की कवायद तेज

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर की तर्ज पर मां विध्यवासिनी मंदिर कारिडोर का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। योजना के अनुसार मंदिर के चारों ओर गोलाई में घेरा बनाया जाएगा और सभी गलियों व रास्तों को चौड़ा करते हुए उसमें मिलाया जाएगा। इससे मंदिर में दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की राह आसान होगी। हालांकि इससे प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का मुद्दा अभी से चर्चा में है।

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विध्य कारिडोर के क्रियान्वयन के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके मंदिर की गलियों और सटे हुए घाटों को चौड़ा किया जाना है। इसके लिए मंदिर से सटी हुए तमाम दुकानें हटा दी जाएंगी। इससे छोटे-बड़े लगभग पांच सौ की संख्या में दुकानदार व उनके परिवार वाले प्रभावित होंगे। जिनकी दुकानें हटा दी जाएंगी उनके विरोध के स्वर आसन्न विकास की रोशनी में कहीं खोते चले जा रहे हैं। जब भी कोई श्रद्धालु मां विध्यवासिनी के धाम में पहुंचता था, तो उसे तंग गलियों से होकर मंदिर पहुंचना होता था। प्रशासन को भी लाखों के हुजूम को संभालना पड़ता था। प्रशासनिक अधिकारी इस बात को लेकर सदैव चितित रहे कि आने वाले दिनों में व्यवस्था को बनाए रखना कठिन हो जाएगा। इस प्रकार की चिताओं ने शासन-प्रशासन को विशेष योजना बनाने के लिए बाध्य कर दिया। विध्य पंडा समाज और उन पर निर्भर अन्य समाज अलग-अलग ढंग से विध्य कारिडोर पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है।

धार्मिक पर्यटन से जुड़ी बड़ी आबादी

धार्मिक पर्यटन से विध्यवासिनी धाम की एक बहुत बड़ी आबादी जुड़ी हुई है। इसमें अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लोग भी सम्मिलित हैं। विध्य कारिडोर से उनके कारोबार का स्वरूप बदलेगा। सदियों से मंदिर के पास रहने वाले विस्थापित होंगे। इन विस्थापितों के लिए मुआवजे का प्रावधान सरकार द्वारा रखे जाने की बात कही जा रही है। यह भी सच है कि कोई भी मुआवजा इनके कारोबार और मंदिर पर निर्भरता को कभी भरपाई नहीं कर पाएगा।


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