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बगल के कमरे में सोने से बची दो बेटो, बहू व पोतियों की जान

नगर के घंटाघर मोहल्ले निवासी सतीश केशरवानी के दो बेटे बहू व पोती बगल के कमरे में सोने के कारण शनिवार को बारिश के चलते हुए हादसे का शिकार होते होते बच गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 06:23 AM (IST)
बगल के कमरे में सोने से बची दो बेटो, बहू व पोतियों की जान

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : नगर के घंटाघर मोहल्ले निवासी सतीश केशरवानी के दो बेटे, बहू व पोती बगल के कमरे में सोने के कारण शनिवार को बारिश के चलते हुए हादसे का शिकार होते होते बच गए। जिस जगह यह हादसा हुआ उसके ठीक बगल के कमरे में परिवार के छह सदस्य और सो रहे थे। संयोग था कि मकान का एक दीवार एक कमरे के ऊपर गिरी अन्यथा बड़ा हादसा हो जाता। इस हृदय विदायक घटना को देखकर सभी की आंखें नम हो गई। हर कोई परिवार को ढांढ़स बधाने में जुटा रहा।

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शहर कोतवाली के घंटाघर निवासी सतीश केशरवानी (58) मोहल्ले के ही योगेश कोरियर में काम कर परिवार का खर्च चलाते थे। उनकों पांच संतानें थी, जिसमें सबसे बड़ी बेटी रंजना, इसके बाद बेटा प्रदीप 30 बच्चू 26, किशन 24 व छोटी बेटी रागिनी शामिल है। इसमें दो बेटी व दो बेटे प्रदीप व बच्चू की शादी कर चुके है जबकि किशन की शादी के लिए तैयारी की जा रही थी। प्रदीप एक कंपनी में सेल्समैन का कार्य करते है तो प्रदीप हलवाई है। वहीं किशन अपने पिता का सहयोग करता था। सतीश अपने पुश्तैनी मकान में परिवार के साथ रहते थे। आगे वाले कमरे में सतीश व उनकी पत्नी माधुरी देवी 50 तथा सबसे छोटा बेटा किशन रहता थे। वहीं पीछे वाले एक कमरे में उनका बड़ा बेटा प्रदीप अपनी पत्नी व एक बेटी के साथ तथा उसके बगल के कमरे में दूसरा बेटा बच्चू अपनी पत्नी व बेटी के साथ रहता था। शनिवार की रात सभी लोग खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गए थे। भोर करीब चार बजे के लगभग मसूलाधार हो रही बारिश के चलते मकान की एक दीवार भरभराकर सतीश के कमरे का छप्पर लेकर गिर पड़ी जिसमें तीनों दब गए। भोर में अचानक तेज आवाज होने पर प्रदीप की नींद खुल गई वह कमरे से बाहर निकला तो देखा कि माता पिता व मलबे में दबकर चीख रहे है शोर मचाते हुए उसने मोहल्ले के लोगों को बुलाया सभी ने आनन फानन में तीनों को मलबे से बाहर निकाला। यह दर्दनाक हादसा देकर सभी की आंखे नम हो गई। सौ साल पुराना था मकान

घंटाघर निवासी सतीश का लगभग सौ साल पूर्व का पुश्तैनी मकान था जिसमें वह रहा करते थे उसके बगल में उनके भाई का मकान है जो बंटवारे के बाद अलग हो गया था। तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते मकान की दीवार गिली हो गई जिसके चलते यह हादसा हो गया।


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