पूरे देश को एक सूत्र में बांधती है राष्ट्रभाषा हिदी
जागरण संवाददाता मीरजापुर नगर के बरौंधा कचार स्थित पार्क में आचार्य रामचंद्र शुक्ल स्मारक
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : नगर के बरौंधा कचार स्थित पार्क में आचार्य रामचंद्र शुक्ल स्मारक शिक्षण संस्थान के तत्वावधान में सोमवार को हिदी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि व पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर व हिदी विभागाध्यक्ष डा. अनुज प्रताप सिंह ने हिदी पुरोधा आचार्य रामचंद्र शुक्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कहा कि हिदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जो पूरे राष्ट्र को जोड़ती है।
उन्होंने कहा कि भारतेंदु ने गद्य पद्य की विविध विद्याओं में कार्य करने के साथ ऐसा साहित्य संस्थान तैयार किया जिसके द्वारा साहित्य के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य हुआ। उनके बाद आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंध, साहित्य के क्षेत्र में एक युग का प्रतिनिधित्व किया, जो आज भी सराहनीय है। प्रबंधक राकेशचंद्र शुक्ल ने कहा कि हिदी साहित्य के विकास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का विशेष योगदान रहा। हौसला प्रसाद मिश्र ने कहा कि हिदी विश्व की पुरातन भाषा है। शोभनाथ भारती, राहुल दुबे, गुलाब सिंह, ताड़केश्वर नाथ मिश्र ने हिदी को सभी भाषाओं की सिरमौर बताया। साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने हे भारत के भाग्य विधाता, हिदी हो जन-जन की भाषा सुनाया। इस अवसर पर धीरेंद्र शुक्ल, देवी प्रसाद तिवारी, इंद्रजीत शुक्ल आदि रहे।
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हिदी सिर्फ भाषा नहीं वरन आत्म गौरव व सम्मान
नगर के एएस जुबली इंटर कालेज में हिदी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता हिदी प्रवक्ता राजेंद्र तिवारी ने कहा कि हिदी सिर्फ भाषा नहीं, वरन हमारे आत्म गौरव और आत्म सम्मान का मुद्दा है। हमारी अस्मिता का सवाल है, जो पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधती हैं। शिक्षक नरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को हिदी को राष्ट्रभाषा स्वीकार किया गया। 1953 हिदी दिवस मना रहे हैं, पर अंग्रेजी हावी है। पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि जबतक रोजगार की गारंटी नहीं होगी तब तक हिदी नहीं बढ़ेगी। श्रीष श्रीवास्तव, सागर लाल, अशोक कुमार, राजेश, जसवंत आदि शिक्षकों ने विचार रखे।
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हिदी को नए आयामों में समझने की जरूरत
हिदी दिवस पर संत अल्बर्ट कालेज, एर्नाकुलम, केरल द्वारा अंतराष्ट्रीय वेबिनार सोमवार को आयोजित किया गया। वक्ता द पर्सपेक्टिव इंटरनेशनल जर्नल व आईसीएसएसआर नई दिल्ली के फेलो अनीश कुमार ने हिदी के नए आयामों को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिदी हमारी संस्कृति से जुड़ी है। यह देश की अखंडता और संप्रभुता में सहायक है। आज हम हिदी दिवस के 71वीं वर्षगांठ के तौर पर राजभाषा हिदी को याद कर रहे हैं। ऐसे में हमें हिदी के विभिन्न आयामों को भी समझने व देखने की जरूरत है। श्रीलंका की प्रो निलन्ति राजपक्षे ने श्रीलंका में हिदी की स्थिति व भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों पर बात रखी। हिदी को सिर्फ हिदी दिवस के तौर पर न मनाए अन्यथा ये एक त्योहार में बदल जायेगा। धन्यवाद ज्ञापन हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. सदानंदन ने किया।