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चेकिग व चालान में लालच का खेल जिम्मेदार सो रहे कान में डाले तेल

कहा जाता है कि शासन-प्रशासन चाह भर ले तो नियमों का उल्लंघन करना लोग छोड़ देंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। क्योंकि जिन विभागों के उपर जिम्मेदारी दी जाती है वे पहले कमाने का आसान रास्ता ढूंढते हैं। शिकवा-शिकायत की गई तो उसकी जांच भी विभागीय अधिकारी करते हैं और चंद दिनों में लीपापोती की रिपोर्ट लगा दी जाती है। जिन पर नियम पालन कराने की जिम्मेदारी है वे मामूली लालच में लोगों को मरने के लिए छोड़ देते हैं। मसलन चालान के नाम पर खेल चेकिग के नाम पर खानापूर्ति जागरूकता अभियान के नाम पर सरकारी धन की बंदरबाट कर ली जाती है। जबकि इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो प्राय आम जनमानस की जान बचाई जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 07:29 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 11:23 PM (IST)
चेकिग व चालान में लालच का खेल जिम्मेदार सो रहे कान में डाले तेल
चेकिग व चालान में लालच का खेल जिम्मेदार सो रहे कान में डाले तेल

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कहा जाता है कि शासन-प्रशासन चाह भर ले तो नियमों का उल्लंघन करना लोग छोड़ देंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। क्योंकि जिन विभागों के उपर जिम्मेदारी दी जाती है, वे पहले कमाने का आसान रास्ता ढूंढते हैं। शिकवा-शिकायत की गई तो उसकी जांच भी विभागीय अधिकारी करते हैं और चंद दिनों में लीपापोती की रिपोर्ट लगा दी जाती है। जिन पर नियम पालन कराने की जिम्मेदारी है वे मामूली लालच में लोगों को मरने के लिए छोड़ देते हैं। मसलन, चालान के नाम पर खेल, चेकिग के नाम पर खानापूर्ति, जागरूकता अभियान के नाम पर सरकारी धन की बंदरबाट कर ली जाती है। जबकि इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो प्राय: आम जनमानस की जान बचाई जा सकती है।

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यातायात विभाग व परिवहन विभाग द्वारा नवंबर माह में सड़क सुरक्षा सप्ताह तो मनाया जाता है लेकिन वह भी कोरम पूरा करने तक ही सीमित रहता है। विभाग द्वारा केवल एक माह लोगों को जानकारी देकर या चालान काटकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली जाती है। हांलाकि इस माह में विभाग का फोकस चालान काटने की बजाए लोगों को जारूक करने में ज्यादा रहता है। एक नवंबर से जनपद में चले यातायात अभियान के दौरान कई विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को यातायात नियमों का पाठ भी पढ़ाया गया। बावजूद इसके वाहन चालकों द्वारा धड्ल्ले से नियमों की अनदेखी की गई। टीएसआई अमर सिंह चौहान ने बताया कि इस दौरान एक हजार से अधिक दो पहिया, तीन पहिया व चार पहिया वाहनों को चेक किए गए। जिनमें अधिकांश लेागों के पास न हेलमेट पाया गया न ही कागजात पूरे मिले। इसके अलावा चार पहिया वाहन चालक तो सीट बेल्ट भी लगाने से गुरेज करते रहे।

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काली फिल्म चढ़े वाहनों में बेखौफ धूम रहे मनबढ़ लोग

जनपद में अक्सर काली फिल्म लगे वाहन आपके बगल से गुजरते दिख जाएंगे। जबकि सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 की धारा 100 (2) के तहत कारों के शीशों पर काली फिल्म लगाना प्रतिबंधित है। शासन द्वारा कुछ वीआइपी को छोड़कर अन्य किसी वाहन में काली फिल्म लगाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। ऐसे वाहन स्वामियों के विरूद्ध कार्रवाई की बजाए जिला प्रशासन और संभागीय परिवहन विभाग तमाशा देख रहा है। वर्तमान समय में वाहन कंपनियों पर पाबंदी है कि वह वाहन पर काली फिल्म लगाकर कदापि बिक्री नहीं करेंगे। बावजूद इसके लोगों द्वारा बाजारों से काली फिल्म लगवा लिया जाता है। वाहन स्वामियों ने गाड़ियों के शीशे पर काली फिल्म लगाकर चलने का शौक सा बना लिया है। इसके अलावा शहर में भी यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाईं जा रहीं हैं। जनपद में कई ऐसे वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनके नंबर कई बार देखने के बाद भी स्पष्ट नहीं पढ़े जा सकते हैं। वाहन दुर्घटना कर आसानी से बच निकलते हैं।

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जनपद में वाहन : 14646

यातायात माह में कार्रवाई

चालान : 913

वाहन सीज : 50

जुर्मान : सात लाख 20 हजार

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क्या कहते हैं लोग

यातायात विभाग व परिवहन विभाग द्वारा वाहनों की जांच की जाती है, लेकिन जांच के दौरान लोगों को परेशान करने की बजाए सुधारात्मक रवैया अपनाना चाहिए। जागरूकता से ही नियमों की अनदेखी को रोका जाता है। दंड से सुधार कभी नहीं होता है।

- सतीश मिश्रा।

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यातायात विभाग का सारा ध्यान चालान काटने की बजाए लोगों को जागरूक करने पर होना चाहिए। खासकर युवा पीढ़ी को नियमों का पालन करने लिए अधिक प्रेरित करना चाहिए, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

- दिलीप सिंह गहरवार।

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यातायात नियमों को मजबूरी नहीं मानना चाहिए बल्कि लोगों को अपनी आदत में शुमार करना चाहिए। यातायात नियमों के पालन से ही हम अपनी यात्रा को सुरक्षित व सुखद बना सकते हैं। यातायात नियमों के पालन में जनमानस को सहयोग करना चाहिए।

- जगदीश मिश्रा।

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वाहनों पर काली फिल्म चढ़ाना और उत्तर प्रदेश सरकार लिखकर घूमने पर रोक है। प्राय: ऐसे वाहन नगर में घूमते दिख जाते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई की बजाए विभाग मौन रहता है।

- दिलीप सिंह पटेल।

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वर्तमान समय में वाहनों में तेज आवाज अर्थात प्रेशर हार्न लगाकर चलने का प्रचलन बढ़ गया है। इससे जनमानस को काफी परेशानी होती है। विभाग ऐसे लोगों पर भी अभियान चलाकर कार्रवाई करें।

- द्वारिका प्रसाद शुक्ला।

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विभाग द्वारा समय रहते सटीक कार्रवाई की जाए तो दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। इसके लिए जरूरत है लोगों को जागरूक करने साथ ही जनता द्वारा नियमों के पालन की।

- अनिल कुमार वर्मा।


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