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रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम से बहुरेंगे मत्स्यपालकों के दिन

जागरण संवाददाता मीरजापुर रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम से जल्द ही मत्स्यपालकों के दिन बह

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:10 AM (IST)
रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम से बहुरेंगे मत्स्यपालकों के दिन
रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम से बहुरेंगे मत्स्यपालकों के दिन

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम से जल्द ही मत्स्यपालकों के दिन बहुरने वाले हैं। कम पानी व कम जमीन में मछली का अधिक उत्पादन तो होगा ही साथ ही आय भी बढ़ेगी। इस विधि से मत्स्य पालक साढ़े तीन लीटर पानी में एक किलो मछली तैयार कर सकेंगे। इसके तहत वर्ष 2024 में 11095.54 टन के सापेक्ष 10224.21 टन मछली का उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे, जिससे 12.13 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष मछली की उपलब्धता के लक्ष्य को पूर्ण किया जा सकेगा।

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मीरजापुर की वर्तमान भौगोलिक स्थिति (कम पानी की उपलब्धता व कम कृषि योग्य की उपलब्धता) के अनुसार कम भूमि तथा कम जल का प्रयोग कर अधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने की तकनीकी की आवश्यकता है। इसमें रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम (आरएएस) की स्थापना काफी लाभप्रद होगी। उप निदेशक मत्स्य मुकेश सारंग ने जनपद में मत्स्य की बढ़ती मांग को देखते हुए रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम (आरएएस) रियरिग इकाई व हैचरी की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। विकास खंड राजगढ़ में मत्स्य पालक रेनू सिंह पत्नी सतीश सिंह द्वारा मत्स्य पालन किया जा रहा है।

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क्या है रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम

उप निदेशक मत्स्य मुकेश सारंग ने बताया कि रिसर्कुलेटिग एक्वा कल्चर सिस्टम के तहत सीमेंट के आठ टैंक बनाए जाते हैं। इनमें स्वच्छ पानी भरा जाता है। जिनमें पंगेशियस प्रजाति की मछली का पालन किया जाता है। पानी को गंदा होने के बाद पुन: पानी को फिल्टर करके साफ बनाया जाता है। उसी पानी को पुन: टंकी में डालकर मत्स्य पालन कराया जाता है, जिससे पानी के साथ कम जगह में अधिक मत्स्य उत्पादन होता है।

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मीरजापुर में 8179.37 टन मछली की खपत

जनपद में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर आबादी लगभग 24.97 लाख थी, जिसमें 15 प्रतिशत वृद्धि के उपरांत वर्ष 2019 में लगभग 28.72 लाख हो गई। इसमें लक्षित वर्ष 2024 में 15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ लगभग 33.02 लाख होने की संभावना है। वर्ष 2011 में 15 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष की दर से 8389.82 टन मछली की आवश्यकता थी, जिसके सापेक्ष मात्र 6816.14 टन का उत्पादन हुआ। प्राप्त उत्पादन के आधार पर 11.60 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष का लक्ष्य पूरा हुआ। वर्ष 2019 में 9648.29 के सापेक्ष 8179.37 के आधार पर 12.13 किग्रा प्रति व्यक्ति व्यक्ति वर्ष थी।

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मत्स्य पालन से मिलेंगे रोजगार के अवसर

मत्स्य क्षेत्र में उपरोक्त लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जनपद के सामुदायिक तथा निजी क्षेत्र के तालाबों में मत्स्य पालन हेतु लगभग 1405 लाख मत्स्य फ्राई एवं जलाशयों में संचय हेतु लगभग 812 लाख मत्स्य फ्राई सहित कुल 2217 लाख मत्स्य फ्राई की आवश्यकता होगी, जिसके लिए लगभग 22 हेक्टेअर रियरिग इकाई की स्थापना एवं 10 हैचरियों की भी आवश्यकता होगी। मत्स्य पालन हेतु लगभग 351 लाख मत्स्य अंगुलिका एवं जलाशयों में संचय हेतु लगभग 203 लाख मत्स्य अंगुलिका कुल 554 लाख मत्स्य अंगुलिका की आवश्यकता होगी, जिस हेतु जनपद में लगभग 158 हेक्टेअर रियरिग इकाई की स्थापना एवं 10 हैचरियों की आवश्यकता होगी। पंचवर्षीय प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक लागू करने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु कार्ययोजना में तालाब सुधार, तालाब निर्माण, पंगेशियस पालन, पूरक आहार आदि का समावेश करते हुए निम्नानुसार प्रस्तुत है, जिसमें निजी तालाब निर्माण, रियरिग इकाई स्थापना, हैचरियों स्थापना, आरएएस स्थापना, मनरेगा योजना से सुधरे तालाबों में मत्स्य विकास, फिश फीड मिल स्थापना प्रस्तावित है।

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