बिहनिया अर्घ्य के साथ डालाछठ पर्व का समापन
सेल्फी का रहा जबरदस्त क्रेज पूजा के समय सेल्फी लेने का जबरदस्त क्रेज रहा। पूजा करने वाली महिलाएं तो नहीं लेकिन उनके साथ के बच्चे अथवा लड़कियों ने खूब सेल्फी ली। कभी
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : बुधवार की बिहनिया अर्घ्य के साथ ही डालाछठ पर्व का समापन हुआ। अर्घ्य देने के बाद प्रसाद लेने वालों की होड़ लग गई। प्रसाद का छोटा टुकड़ा प्राप्त कर भी लोग हर्षित रहे। नगर की सड़कों पर भोर से ही चहल पहल रही। घाटों पर कुछ समस्या हुई लेकिन भीड़ होने के कारण पर्व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।
बिहनिया (सुबह का) अर्घ्य देने के लिए सुबह से ही व्रती महिलाओं का घाटों पर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। कोई बैंड बाजे के साथ तो कोई ढोल ताशा के साथ अपने अपने घरों से घाटों पर जा रहा था। रास्ते भर षष्ठी देवी का गीत व भजन गाते हुए महिलाओं का समूह जिस ओर से निकला वहां जाग हो गई। बहुत सी ऐसी महिलाएं जिनके घरों में छठ पूजा नहीं होती है, वह भी पूजा देखने व प्रसाद लेने घाटों पर पहुंच गई। परिवार के पुरुष सदस्य हाथों में टार्च लेकर उपयुक्त जगह की तलाश करते दिखाई दिए।
घाटों पर खूब हुआ भजन कीर्तन
सूर्योदय तो नगर में लगभग छह बजे के आस पास हुआ लेकिन अधिकांश महिलाएं उसके पहले ही घाटों पर पहुंच चुकी थी। अपनी पूजा की तैयारी करने के बाद इन व्रती महिलाओं ने भजन कीर्तन व देवीगीत गाना शुरू कर दिया। एक घंटा किस प्रकार बीत गया पता ही नहीं चला। इसी बीच पुरुष प्रसाद व ईखों की रखवाली करते दिखाई दिए। भोर के बाद जब हल्का सा प्रकाश होने लगा, उसी समय पुरुषों ने गंगा में ईख लगाना शुरू कर दिया। पांच ईखों के बीच दिया जलाकर उदयाचल सूर्य को अर्घ्य दिया गया।
उगु हो सूरुज देव अरघ की बेला हो
महिलाओं ने घाट पर बैठकर, उगु हो सूरज देव अरघ की बेला हो, जैसे भजनों से सूर्यदेव से उगने की प्रार्थना की। ढोलक व मंजीरों की थाप से पूरा घाट झंकृत हो गया। सुबह सुबह नित्य गंगा स्नान करने आने वालों ने भी इस भजन कीर्तन का आनंद लिया। निर्जला व्रत के बाद जब बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया तो उसके बाद प्रसाद लेने वालों की होड़ लग गई। प्रसाद वितरित करने के बाद व्रती महिलाएं सीधे घर गई और पारण किया। उसके बाद आसपास के घरों में भी प्रसाद का वितरण किया गया।
सेल्फी का रहा जबरदस्त क्रेज
पूजा के समय सेल्फी लेने का जबरदस्त क्रेज रहा। पूजा करने वाली महिलाएं तो नहीं लेकिन उनके साथ के बच्चे अथवा लड़कियों ने खूब सेल्फी ली। कभी अर्घ्य देती महिलाओं के साथ तो कभी ईखों के झुरमुट में जल रहे दिए के साथ। लगभग हर घाटों पर यह दृश्य दिखाई दिया।