Sharadiya Navratri 2022 : मां विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन करने के बाद त्रिकोण परिक्रमा कर पुण्य के भागी बन रहे भक्तगण
मां विंध्यवासिनी का कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से दर्शन पूजन किया। नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु विंध्याचल धाम पहुंचे। श्रद्धालुओं ने विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा रूप का विधि विधान से पूजा अर्चना कर निहाल हो उठे।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मां विंध्यवासिनी का कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से दर्शन पूजन किया। नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु विंध्याचल धाम पहुंचे। श्रद्धालुओं ने विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा रूप का विधि विधान से पूजा अर्चना कर निहाल हो उठे।
श्रद्धालु गंगा घाटों पर स्नान के बाद मां के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गए। श्रद्धाभाव से मां विंध्यवासिनी का जयकारा लगाते हुए शीश नवाया। विंध्याचल धाम की चारों गलियां मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गूंजायमान हो उठी।
आदि शक्ति मां विंध्यवासिनी देवी का तीसरे दिन गुड़हल, कमल व गुलाब के पुष्पों से विधि विधान से भव्य श्रृंगार व पूजन अर्चन हुआ। भाेर में मंगला आरती के बाद दर्शन पूजन का क्रम चालू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। इस दौरान घंटा-घडिय़ाल, शंख, नगाड़ा एवं शहनाई की गूंज से विंध्याचल परिसर गुंजायमान रहा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं से विंध्याचल धाम की गलियां पटी रही। दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी का विधि विधान से पूजा अर्चना किया।
नवरात्र भर पाठ करने वाले साधकों ने विधि विधान से मंदिर की छत पर शक्ति पाठ कर रहे हैं। इस दौरान मंदिर की छत पर साधकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ नवरात्र के दौरान विंध्यधाम में मान्यता के अनुसार भक्तों द्वारा अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया। शहनाई की गूंज और महिलाओं के गीतों के बीच बच्चों का मुंडन देखते ही बन रहा था। न्यू वीआईपी, पुरानी वीआईपी सहित कई गलियों में श्रद्धालु मां के दर्शन को उमड़ रहे हैं।
त्रिकोण कर पुण्य के भागी बने श्रद्धालु
नवरात्र में मां विंध्यवासिनी देवी का दर्शन-पूजन करने के बाद श्रद्धालु त्रिकोण परिक्रमा कर पुण्य के भागी बने। कालीखोह स्थित महाकाली के भव्य स्वरूप का दर्शन कर श्रद्धालु निहाल हो उठे। वहीं पहाड़ पर विराजमान मां अष्टभुजी देवी के दरबार में दर्शन-पूजन का क्रम अनवरत चलता रहा। मंदिर के बाहर कतार में खड़े नर-नारी माता का जयकारा लगाते मंदिर की तरफ बढ़े जा रहे थे। दर्शन-पूजन बाद श्रद्धालुओं ने लंगूरों को चना-गुड़ खिलाकर पुण्य कमाया।
मोतिया तालाब में स्नान करते श्रद्धालु
मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के बाद श्रद्धालु त्रिकोण की यात्रा पर निकलते है। इस दौरान श्रद्धालु प्रसिद्ध व धार्मिक मान्यता वाले मोतिया झील में स्नान करना नहीं भूलते है। मान्यता है कि मोतिया झील में स्नान करने से लोग पुण्य के भागी होते है।
हनुमान वेशधारी को देख आनंदित हुए लोग
विंध्याचल से मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद त्रिकोण का आनंद अलग होता है। त्रिकोण के दौरान हनुमान, कृष्ण भगवान सहित अन्य वेशधारी रूपों को देखकर श्रद्धालु आनंदित हो रहे थे। वहीं बालरूपी भगवान को देखकर लोग बरबस ही खींचे चले जा रहे थे।
मां से घर की मांगीं मन्नते
नवरात्र में मां विंध्यवासिनी, मां काली और मां अष्टभुजा के दर्शन कर त्रिकोण करने की परंपरा है। त्रिकोण यात्रा के दौरान श्रद्धालु कालीखोह से अष्टभुजा जाते समय रास्ते में पत्थरों से घर बनाते है। मान्यता है कि त्रिकोण के दौरान पत्थरों से घर बनाने वाले लोगों के स्वयं का घर बनने की इच्छा मां विंध्यवासिनी अवश्य पूर्ण करती है।