बाजारों में बढ़ी चहल-पहल, फल-सूप खरीदारी को उमड़ी भीड़
अव्यवस्था का दंश झेल रहे नागरिक नगर के भटवा की पोखरी मोहल्ले में जिस प्रकार से डायरिया का प्रकोप फैला है वह होना ही था। इस समय नगर में जिस प्रकार की दुर्व्यवस्था पसरी है वह क
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पुत्र एवं परिवार कल्याण के लिए किया जाने वाला महापर्व सूर्यषष्ठी अथवा डालाछठ पर्व रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। व्रत के पहले दिन व्रती महिलाओं ने गंगा स्नान कर व्रत की शुरुआत की।
परंपरा के अनुसार व्रत के पहले दिन व्रती महिलाओं ने दातुन कर गंगा स्नान किया और छठी मइया की स्तुति की। नगर में तो नहीं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजन भी समीप के नदी के घाटों अथवा जलाशयों पर पहुंचे और वहां साफ- सफाई की। स्नान करने के बाद महिलाओं ने साफ की हुई जगह पर धोया हुआ गेहूं जो प्रसाद बनाने के काम में आता है को फैला कर सुखाया। इसके साथ ही वह षष्ठी गीत गाती रही। इतना ही नहीं इसके साथ ही जिन बर्तनों में प्रसाद बनना है उसको भी साफ किया गया और उसे भी धोकर सुखाया गया। यह सब करने के बाद व्रती महिलाओं ने अरवा चावल और कद्दू (लौकी) की सब्जी ग्रहण किया। इस दिन चना की दाल भी ग्रहण की जाती है। माना जाता है कि कद्दू की सब्जी रोगों से लड़ने की शक्ति देती है और चने की दाल सभी दालों में शुद्ध होती है।
आरोग्य व संतान के
लिए होता है यह व्रत
यह व्रत आरोग्य प्राप्ति एवं संतान कल्याण के लिए होता है। पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में राजा प्रियव्रत ने यह व्रत रखा था। उनको कुष्ठ रोग हो गया था। पुरोहितों की सलाह पर यह व्रत रखकर उन्होंने सूर्य देव से रोगमुक्ति की प्रार्थना की थी जो पूरी हुई। इसको प्रतिहार षष्ठी व्रत के रूप में जाना जाता है। अन्य कई धार्मिक ग्रंथों में भी इस व्रत की चर्चा की गई है। इस अवसर पर पूजित होने वाली माता षष्ठी सूर्यदेव की मानस बहन हैं। उनको बच्चों का कल्याण करने वाला माना जाता है। बच्चे के जन्म के छठवें दिन इन्हीं षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वह प्रकृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई देवी हैं।
रविवार से महत्वपूर्ण बना संयोग
रविवार से नहाय खाय शुरू होने के कारण इस बार सूर्य पूजन का महत्व अधिक हो गया है। पुरोहित नितिन अवस्थी ने बताया कि इस बार ग्रह- गोचरों का शुभ योग बन रहा है। देश में शांति होगी व तरक्की होगी।
बाजारों में जमकर हुई खरीदारी
छठ पर्व के लिए बाजारों में व्रती महिलाओं ने खरीदारी की। सूप के साथ- साथ तमाम तरह के फलों की भी खरीदारी की गई। साथ ही गेहूं व अन्य सामानों की भी खरीदारी की गई। इस व्रत में प्रसाद का सामान पूरी तरह से शुद्ध एवं घर पर ही तैयार होता है। इसलिए सभी सामानों को खरीदकर महिलाएं अपने घर पर भी धो- पछोड़कर शुद्ध पानी से धोकर सुखाकर प्रसाद बनाती हैं।
घाटों पर हो रही बैरिके¨डग
इस समय गंगा घाटों पर सफाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। इसमें स्थानीय लोग भी सहयोग कर रहे हैं। जिनके घर की महिलाएं व्रत रख रही हैं वे सुबह से ही घाटों पर जुटे रहे और सफाई कर रहे कर्मचारियों का सहयोग करते रहे। जहां कहीं भी गंदगी अथवा बालू सीढि़यों पर जमा हुआ था उसे हटाया जा रहा है लेकिन पानी में जो कूड़ा तैर रहा है उसका हल नहीं निकल पा रहा है। लोगों का मानना है कि पूजा के समय यह गंदगी श्रद्धालुओं के सामने आने से परेशानी हो सकती है।