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सांसारिक बंधनों से मुक्ति का माध्यम है मानसपाठ

संस्कार भारती के संयोजन में गोस्वामी तुलसीदास के जयंती के अवसर पर नगर के दाऊजी घाट स्थित गोपाल गीता मन्दिर परिसर में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 06:55 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 06:55 PM (IST)
सांसारिक बंधनों से मुक्ति का माध्यम है मानसपाठ
सांसारिक बंधनों से मुक्ति का माध्यम है मानसपाठ

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : संस्कार भारती के संयोजन में गोस्वामी तुलसीदास के जयंती के अवसर पर नगर के दाऊजी घाट स्थित गोपाल गीता मन्दिर परिसर में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि समरसता के बीच लोक मंगल के लिए लिखे ग्रन्थ की महिमा अनंत है। एक नाम राम सभी दु:खों से उबारने का महामंत्र है तो रामचरितमानस पृथ्वी पर दिन रात पढ़ा जाने वाला महाकाव्य है । 

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बिनानी महाविद्यालय के प्रवक्ता सचिदानंद तिवारी ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस महाकाव्य के माध्यम से भारतीय समाज को अमोघ अस्त्र प्रदान किया है। यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसका शब्द दिन रात कही न कही गूंजता रहता है। अखण्ड मानस पाठ करीब 24 घंटे तक पढ़ा जाने वाले ग्रन्थ है। संस्कार भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष डॉ गणेश प्रसाद अवस्थी ने कहा कि स्वान्त: सुखाय के साथ ही लोक कल्याण की भावना से लिखा गया रामचरितमानस महाकाव्य हिन्दू धर्म का महाकाव्य है। जिसे ग्रामीण अंचलों में आज भी निरक्षर भी पाठ करके परम आनंद की प्राप्ति करते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानस मर्मज्ञ एवं भागवत भूषण कृष्ण चन्द्र गोस्वामी ने कहा कि कलयुग के प्रभाव के चलते सांसारिक मायाजाल में उलझे इंसानों को उससे तारने का काम रामचरितमानस करता है। गोष्ठी में विष्णु नारायण मालवीय, कुलभूषण पाठक, नितिन अवस्थी, गोपाल कृष्ण गोस्वामी, अचल कृष्ण गोस्वामी, विध्यवासिनी प्रसाद केसरवानी एवं प्रमोद गुप्ता प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कृष्ण मोहन गोस्वामी ने किया।

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