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चुनार में दशकों से लोगों के सुखदुख का साक्षी है पीपल

जासं, चुनार (मीरजापुर) : हमारे यहां हजारों सालों से लोग पीपल के पेड़ को लगातार पूजते आ रहे हैं। संपूर

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 07:27 PM (IST)
चुनार में दशकों से लोगों के सुखदुख का साक्षी है पीपल

जासं, चुनार (मीरजापुर) : हमारे यहां हजारों सालों से लोग पीपल के पेड़ को लगातार पूजते आ रहे हैं। संपूर्ण धरती पर सभी वृक्षों में यही एक ऐसा पेड़ है जो सबसे अधिक आक्सीजन छोड़ता है। 24 घंटे आक्सीजन देने के अलावा पीपल हमें कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है। शेरवां क्षेत्र के बिक्सी माइनर पर बरियारबीर बाबा के पास स्थित पीपल का पेड़ दशकों से क्षेत्रीय लोगों के लिए वरदान व आस्था का केंद्र बना है। लोगों के सुखदुख का साथी यह पेड़ पिछले नौ दशकों से क्षेत्रवासियों का साथ निभाता आ रहा है।

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गर्मी के दिनों में बड़े-बूढ़े व बच्चे दिन भर इस पीपल के पेड़ की छांव में आराम करते हैं। वहीं इस रास्ते से आने जाने वाले राहगीरों का भी यह एक निश्चित ठीकाना है। राहगीर यहां ठहर कर विश्राम करने के बाद आगे अपने गंतव्य को जाते हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि करीब नब्बे वर्ष पहले यहां किसी ने बरियार बाबा का छोटा सा मंदिर बनवाया था। उसके कुछ वर्षों बाद यहां खुद से ही चारों तरफ पीपल के सात पेड़ उग आए। समय बीतने के साथ साथ बरियार बाबा की मान्यता बढ़ी तो यह पीपल के यह पेड़ भी लोगों की आस्था का केंद्र बन गए। इनकी भी पूजा अर्चना होने लगी और गांव वासियों के हर सुख दुख के साक्षी भी बनने लगे। आज भी सोमवती अमावस्या के दिन गांव की दर्जनों महिलाएं 108 फेरे लगा कर इसकी पूजा अर्चना करतीं हैं। प्रत्येक शनिवार यहां जलदान व दीपक जलाकर पूजन अर्चन होता रहता है और महिलाएं इसमें धागा लपेटती हैं। बीस वर्ष पहले क्षेत्र पंचायत सदस्य केवला देवी ने इसके चारों ओर चबूतरे का निर्माण कराया था। जिस पर आज अगल बगल के ग्रामवासी मंदिर पर कथा कीर्तन तथा सार्वजनिक कार्यक्रम करते रहते हैं।


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