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सावधानी से ही आसान होगी अब सुरक्षित जिदगी की राह

कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी लॉकडाउन का चौथा चरण समाप्त हो गया। जनपद ने अब लॉकडाउन से अनलॉक-1 की ओर कदम बढ़ाया है। ऐसे में सावधानी से ही सुरक्षित जिदगी की राह आसान होगी। जनता को सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 06:09 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:09 PM (IST)
सावधानी से ही आसान होगी अब सुरक्षित जिदगी की राह

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी लॉकडाउन का चौथा चरण समाप्त हो गया। जनपद ने अब लॉकडाउन से अनलॉक-1 की ओर कदम बढ़ाया है। ऐसे में सावधानी से ही सुरक्षित जिदगी की राह आसान होगी। जनता को सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा। लॉकडाउन ने लोगों की जिदगी में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया। लॉकडाउन समाप्त होने से बंदिशें धीरे-धीरे कम होने लगी हैं लेकिन जिम्मेदारियों का दायित्व बढ़ा है। ऐसे में एहतियात ही अब रोजमर्रा की जिदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।

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लॉकडाउन की शुरुआत के समय जहां तब्लीगी जमात से संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ था, वहीं दूसरे महीने प्रवासी कामगारों की घर वापसी बड़ी चुनौती के रुप में सामने आई लेकिन सरकार की चौकसी वायरस के विस्तार की गति को नियंत्रित करने में काफी सफल रही। जिले में अब तक कोरोना से 34 लोग संक्रमित हो चुके हैं लेकिन इनमें से 19 ऐसे लोग हैं जिन्होंने पूरे साहस व धैर्य के साथ इस कातिल वायरस को परास्त किया और अब वे पूर्ण स्वस्थ्य होकर अपने घर जा चुके हैं। इस समय विध्याचल स्थित आइसोलेशन वार्ड में 15 मरीज हैं। इतने दिनों तक लॉकडाउन के बाद अब सरकार और जनता यह मानने लगी है कि कोरोना का संकट इतनी जल्द खत्म होने वाला नहीं है। इसके मद्देनजर सरकार ने सामान्य जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए अब बंदिशों में ढील देकर लॉकडाउन को अनलॉक कर दिया। आठ जून से चरणबद्ध तरीके से मॉल, होटल, धर्मस्थल व सैलून खुल सकेंगे। दुकानें खुलने व आवागमन में ढील देने से दो माह से वीरान चल रहा सड़क भी अब गुलजार हो गया। अधिवक्ता अवधेश पांडेय कहते हैं कि आम नागरिक अब कोरोना से लाभ-हानि को लेकर सचेत हो चुका है। संक्रमण से बचाव के लिए सावधानियां अब जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।

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फिर साकार होने लगी महाकवि घाघ की कहावत

गांवों में महाकवि घाघ की कहावत, 'उत्तम खेती मध्यम बान, निषिध चाकरी, भीख निदान' फिर साकार होने लगी है। देश के विभिन्न राज्यों में नौकरी कर रहे प्रवासी कामगार और श्रमिक बड़ी तेजी के साथ अपने घर वापस पहुंच रहे हैं। इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं, जो बार-बार कसमें खा रहे हैं कि अब वे गांव में ही खेती करेंगे, कहीं और नहीं जाएंगे। लॉकडाउन में फंसने पर लोगों को आटा, चावल, दाल का भाव पता चल गया। सिटी ब्लाक के बढ़ौली गांव निवासी किसान अमृतलाल बोले, घाघ ने तो कहावत में कहा ही है कि उत्तम खेती मध्यम बान, निषिध चाकरी भीख निदान..। वह समझाते हैं कि खेती सबसे अच्छा कार्य है। व्यापार मध्यम है, नौकरी निषिद्ध है और भीख मांगना सबसे बुरा कार्य है यानी अगर लोग अपने घर, गांव और आसपास में ही काम करें तो परदेस से ज्यादा कमा लेंगे और सुकून से भी रहेंगे।


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