कोहरे व धुंध में जानलेवा बन जाते हैं हाइवे के अंधे मोड़
कोहरे से बचाव के लिए इतना ही कहा जा सकता है कि अपनी सुरक्षा आपके हाथ में है। कोहरे पर किसी का वश नहीं लेकिन सुरक्षित चलने का काम तो हर किसी के वश में है। जनपद के हाइवे इतने खतरनाक हो जाते हैं कि वाहन तो टकराते ही हैं राह चलते लोग भी असमय काल के गाल में समा जाते हैं। हाइवे पर बने अंधे मोड़ पर हर साल हादसे होते हैं लेकिन प्रशासनिक अमला कोई एतिहात नहीं बरतता। यही कारण है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : कोहरे से बचाव के लिए इतना ही कहा जा सकता है कि अपनी सुरक्षा, आपके हाथ में है। कोहरे पर किसी का वश नहीं लेकिन सुरक्षित चलने का काम तो हर किसी के वश में है। कोहरे के दौरान जनपद के हाइवे खतरनाक हो जाते हैं। ऐसे में वाहन तो टकराते ही हैं राह चलते लोग भी असमय काल के गाल में समा जाते हैं। हाइवे पर बने अंधे मोड़ पर हर साल हादसे होते हैं लेकिन प्रशासनिक अमला कोई एतिहात नहीं बरतता। यही कारण है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जनपद में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों की बात करें तो मीरजापुर-सोनभद्र हाइवे पर बरकछा घाटी, पटेहरा में सिकटही जंगल के पास, राजगढ़ में सेमरी गांव के पास, कलवारी का गर्दा नाला और कुंडिया मार्ग पर बने अंधे मोड़ पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। कोहरे व धुंध की वजह से यह स्थान और अधिक खतरनाक बन जाते हैं। चुनार तहसील क्षेत्र की बात करें तो अदलपुरा गांव स्थित मिशन कैंपस के पास, चचेरी मोड़, मच्छरमर्रा मोड़, अहरौरा की हनुमान घाटी, चित्तविश्राम तिराहा, मंडली व मेंहदीपुर चौराहा और बिल्लो कुंड में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। वहीं ड्रमंडगंज का बड़का मोड़ इतना खतरनाक है कि यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। इसके अलावा मीरजापुर- रीवां हाइवे पर लहंगपुर, करनपुर पहाड़ी, बस्तरा मोड़ हादसों का क्षेत्र है। इसके अलावा नरायनपुर मोड़, मुंहकुचवा रोड, चील्ह-गोपीगंज तिराहा सहित दर्जनों ऐसे स्थान हैं जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। इन हाइवे पर रोजाना होने वाली दुर्घटनाओं में उस समय इजाफा होता है जब कोहरा व धुंध छा जाता है। हर साल दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन सुरक्षा के लिए कोई विशेष उपाय नहीं कराए जाते। बोले लोग
मीरजापुर- सोनभद्र हाइवे पर कई स्थान ऐसे हैं जहां अक्स गाड़ियां लड़ जाती हैं। कोहरे के कारण यह और भी खतरनाक हो जाते हैं। इसके लिए प्रशासन को उपाय करने चाहिए।
- जगदीश प्रसाद पांडेय
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शहर की सड़कों का भी बुरा हाल है। न स्ट्रीट लाइट की सही व्यवस्था और न हीं रात में चमकने वाले संकेतक ही लगे हैं। इसकी वजह से कोहरे में लोगों को समस्या होती है।
- डा. बी सिंह
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कोहरे से बचाव के लिए सभी वाहन चालक फॉग लाइट जरुर लगाएं। साथ ही अपनी स्पीड पर भी ब्रेक रखें ताकि किसी भी आपात स्थिति में अपनी गाड़ी नियंत्रित हो सके।
- डा. ओमप्रकाश गुप्ता
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जिला प्रशासन द्वारा हर वर्ष यातायात सप्ताह या यातायात माह का आयोजन किया जाता है। तमाम कार्यक्रम होते हैं लेकिन दुर्घटना वाली जगहों पर सुरक्षा के उपाय नहीं किए जाते।
- सुनील कुमार
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सुरक्षित यातायात की जानकारी अमूमन सबको होती है लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब इसे फॉलो नहीं किया जाता। जो भी सड़क पर चलते हैं उनको बहुत जल्दी होती है।
- रमाशंकर पांडेय
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कोहरे से बचाव के लिए वाहन चालकों को स्वयं सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही जिला प्रशासन को भी इसके लिए आगे आना चाहिए क्योंकि दुर्घटना से देश की ही क्षति होती है।
- रवि गुप्ता
--------------- सड़क सुरक्षा के उपाय नाकाफी
रिटायर्ड शिक्षक व शोध संस्था से जुड़े जगदीश प्रसाद पांडेय बताते हैं कि सड़क सुरक्षा का सारा फोकस सिर्फ सही ड्राईविंग पर होता है। जबकि आज के हालात के अनुसार इसका फोकस अच्छी सड़कों पर भी होना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्र में घुमावदार सड़कें, साठ डिग्री मोड़ वाली सड़कें बनाई जाती हैं जिन पर चलने के लिए जागरुकता की बेहद आवश्यकता होती है। जिले में ज्यादातर हाइवे पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरते हैं, ऐसे में इन ब्लैक स्पाट और दुर्घटना वाली जगहों पर लाइटिग, संकेतक आदि लगाए जाने चाहिए।
जिले में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र
- मीरजापुर-सोनभद्र मार्ग बरकछा घाटी
- मीरजापुर- वाराणसी मार्ग पर डगमगपुर
- वाराणसी-शक्तिनगर हाइवे हनुमान घाटी
- मीरजापुर- रीवा रोड पर करनपुर पहाड़ी
- ड्रमंडगंज-एमपी हाइवे पर बड़का मोड़
- चुनार- राजगढ़ मार्ग पर मच्छरमर्रा मोड़
- मीरजापुर- प्रयागराज हाइवे अष्टभुजा पहाड़ी