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फाइव स्टार होटलों के प्रवासी कारीगर गांव में बढ़ा रहे जायका

जागरण संवाददाता लालगंज(मीरजापुर) कोरोना महामारी से जहां एक तरफ लोग परेशान है रोज

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 05:15 PM (IST)
फाइव स्टार होटलों के प्रवासी कारीगर गांव में बढ़ा रहे जायका

जागरण संवाददाता, लालगंज(मीरजापुर): कोरोना महामारी से जहां एक तरफ लोग परेशान है, रोजी रोटी बंद होने से कई लोग बेरोजगार हो गए है। वहीं पर अच्छी खबर यह है कि क्षेत्र में प्रवासी कारीगरों ने फास्ट फूड का स्वाद बढ़ा दिया है। कोरोना संक्रमण के चलते महानगरों के फाइव स्टार होटलों में काम करने वाले कारीगर गावं की दुकानों में जायके का स्वाद बढ़ा रहे हैं। उनके हुनर से मिठाई व फास्ट फूड की तेजी से बिक्री हो रही है। गैर जनपदों में इनके हाथों से बनी मिठाइयां लोगों में खुब पसंद कर रहे है।

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राष्ट्रीय राजमार्ग सात पर स्थित तहसील मुख्यालय का बाजार लालगंज में फाइव स्टार होटलों में काम करने वाले क्षेत्र के हलिया, मेढरा, बनवारी, अमहां, जगदीशपुर एवं पतुलखी गांव के कारीगरों अब मुंबई आदि महानगरों के व्यंजनों को लालगंज में परोस रहे है। क्योंकि इन प्रवासी कारीगरों ने बाजार की मिठाइयों की दुकानों की रौनक बढ़ा दिया है। लालगंज क्षेत्र के कई गांवों के नौजवान नौकरी करने मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली आदि महानगरो में गए थे। लौटे प्रवासी कारीगर अरुण पाल के मुताबिक वहां वेटर का काम शुरू किया, लेकिन पढ़ें लिखे होने के कारण उसमें मन नहीं लगा, तो मिठाई, डोसा, इडली आदि बनाने वाले विशेषज्ञ कारीगरों के सहायक बनकर कारीगरी सीखने लगा। कुछ ही समय में उसमें पारंगत भी हो गए। इसके बाद वे बढ़ी पगार पर काम करने लगे। धीरे-धीरे कारीगरों का वेतन बढ़ने लगा। पैसा मिलने पर वे परिवार सहित मुंबई में रहने लगे। उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला वहां के अच्छे विद्यालयों में करवा दिया। प्रवासी कामगारों शिवंशंकर पांडेय व नेता के मुताबिक कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन लग गया। इससे उनके सपनों पर ब्रेक लग गया। कोरोना वायरस के कारण महानगरों के कई होटल बंद हो गए। होटल मालिक ने कारीगरों को नौकरी से छुट्टी कर दिया। इससे विवश होकर कारीगर परिवार सहित घर वापस लौट आए। गांव में आने के बाद उनके सामने परिवार का भरण पोषण की समस्या आ गई। इसलिए कारीगरों ने स्थानीय मिठाई की दुकानों पर नौकरी कर ली। उन्होंने मिठाई के दुकान संचालकों को बताया कि वे बड़े होटल में कारीगर थे। उनके पास एक से बढ़कर एक मिठाई बनाने की कला है। साथ ही इडली, डोसा, चाऊमीन समेत सभी तरह के व्यंजन बनाते हैं। उनके बातों से प्रभावित होकर दुकान संचालकों ने उनको नौकरी पर रख लिया। उनकी बनाई मिठाई बाजार में तो लोगों ने खरीदना शुरू कर दिया। प्रवासी कारीगरों की यह है दुकान

लालगंज बाजार के तहसील रोड पर फास्टफूड व ड्राई फूड की दुकान है। यहां पर प्रवासी कारीगर अरुण पाल काम करते है। बाजार में बापू उपरौध इंटर कालेज के पास की दुकान और को दांव रोड पर मेढरा गांव की दुकान पर खूब भीड़ हो रही है। बाजार की अन्य मिठाइयों की दुकानों पर प्रवासी कारीगर स्वाद बढ़ा रहे है। यहां की मिठाइयां सात सौ से लेकर 12 सौ रुपये किलोग्राम तक की बिक रही है।


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