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इंवेस्टर्स समिट से मिलीं तीन परियोजनाएं अटकीं

इंवेस्टर्स समिट के दौरान जनपद में विकास, उत्पादकता, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुल तीन एमओयू साइन किए गए। इनके माध्यम से जिले में सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश होना है। इससे न सिर्फ जनपद में विकास के नये मानक बनेंगे बल्कि हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर रोजगार मुहैया हो सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 08:50 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 10:38 PM (IST)
इंवेस्टर्स समिट से मिलीं तीन परियोजनाएं अटकीं
इंवेस्टर्स समिट से मिलीं तीन परियोजनाएं अटकीं

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : इंवेस्टर्स समिट के दौरान जनपद में विकास, उत्पादकता, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुल तीन एमओयू साइन किए गए। इनके माध्यम से जिले में सैकड़ों करोड़ रुपये का निवेश होना है। इससे न सिर्फ जनपद में विकास के नये मानक बनेंगे बल्कि हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर रोजगार मुहैया हो सकेगा। जनपद की औद्योगिक गति बढ़ेगी और निवेश के नए रास्ते तलाशे जा सकेंगे। लेकिन विभागों की भागदौड़ और जटिल प्रक्रिया की वजह से तीनों प्रोजेक्ट्स अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाए हैं।

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¨वध्याचल के गोसाईं पुरवा में करीब सात करोड़ के निवेश से बनाए जा रहे पशुचारा, मुर्गी चारा यूनिट में ही थोड़ा बहुत काम हो पाया है। यहां दोनों मशीनें आ गई हैं लेकिन बैंक से लोन न मिल पाने की समस्या के कारण यह प्रोजेक्ट रूका हुआ है। मे. भगवती कैटिल फीड के संस्थापक निदेशक राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि हमने तय सीमा से ज्यादा निवेश किया है और प्रोजेक्ट का लगभग 80 फीसद काम पूरा हो चुका है। समस्या बैंक की ओर से होने के कारण इसमें देरी हुई। फिलहाल दूसरे बैंक से आवेदन किया गया है और जल्द ही स्वीकृति मिलने की संभावना है। वहीं दूसरा बड़ा निवेश मे. कमुना एग्रो लिमिटेड का होना है, जिन्होंने बैंक आफ बड़ौदा में ऋण के लिए आवेदन किया है लेकिन अभी तक यह आवेदन आगे नहीं बढ़ पाया। जिले में आने वाला तीसरा व सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मड़िहान में बनाया जाने वाला सौर उर्जा प्लांट है। इसे छह महीने सिर्फ जमीन के लिए इधर से उधर भागना पड़ा। मे. एंपल्स एनर्जी सोल्यूशंस कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे लिए जमीन ही सबसे बड़ी अड़चन बन गई है और विभागों का अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल रहा। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का स्टेटस अभी सिर्फ स्वायल टे¨स्टग तक पहुंचा है और हम शुरूआती दौर में ही अटके हुए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में अटकी 24 परियोजनाएं

इन तीनों बड़े निवेश के अलावा जनपद की 24 अन्य औद्योगिक योजनाएं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से क्लीयरेंस न मिलने की वजह से अधर में लटकी हुई हैं। 87 में से कुल 48 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई जबकि 24 को निरस्त कर दिया गया। अब वे उद्योग समूह फिर से आवेदन कर रहे हैं। वहीं एक परियोजना को अग्निशमन विभाग की ओर से एनओसी मिलने का इंतजार है। निवेश मित्र: जनपद में यहां उद्योग लगेंगे

- बरकछा में 34 हेक्टेयर पर लगेंगे उद्योग

- मिनी औद्योगिक आस्थान रामनगर सिकरी

- औद्योगिक आस्थान चुनार, डवक

- औद्योगिक आस्थान घाटमपुर, राजगढ़

-------------- 'इंवेस्टर्स समिट में साइन किए गए तीनों एमओयू की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की जा रही है। विभागीय दिक्कतों को तत्काल दूर करने के निर्देश दिए गए हैं और भी जो समस्याएं हैं उनका जल्द निस्तारण किया जाएगा।'

-अनुराग पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर


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