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कोरोना के डर से ममता गई हार, दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार

मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार। निदा फा•ाली की इस गजल की यह पंक्तियां रविवार की रात हरदी-सहिजनी गांव में पूरी तरह चरितार्थ होती दिखाई दी। गांव के दो युवक रविवार की देर रात दिल्ली से लौटकर गांव पहुंचे लेकिन हालात ने उन्हें घर की छांव नसीब नहीं होने दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 07:28 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 06:05 AM (IST)
कोरोना के डर से ममता गई हार, दुख  ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
कोरोना के डर से ममता गई हार, दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार

जासं, जमालपुर (मीरजापुर) : मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार, दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार। निदा फा•ाली की इस गजल की यह पंक्तियां रविवार की रात हरदी-सहिजनी गांव में पूरी तरह चरितार्थ होती दिखाई दी। गांव के दो युवक रविवार की देर रात दिल्ली से लौटकर गांव पहुंचे लेकिन हालात ने उन्हें घर की छांव नसीब नहीं होने दी।

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कोविड- 19 के बढ़ते संक्रमण के कारण परिजनों द्वारा गांव के बाहर ही दोनों के रहने के लिए खेत में ही टेंट की व्यवस्था करा दी गई। रात में दोनों के आने की जानकारी मिलने पर उनकी मां भी पलक पांवड़े बिछाए अपने पुत्रों के आने की प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन जब दोनों पहुंचे तो दूर से सब एक-दूसरे को निहार रहे थे। माताओं की आंखें आंसुओं से डबडबा रहीं थीं तो उनके पुत्रों की दशा भी बेचैनी का आलम ही बयां कर रही थी। राकेश कुमार (22) व राम अवतार (20) लगभग दो माह पूर्व काम की तलाश में दिल्ली गए थे। दोनों वहां एक फर्म में फर्श पेंटिग का काम कर रहे थे। लॉकडाउन चलते काम बंद हो जाने पर दोनों को मजबूरी में गांव वापस लौटना पड़ा। रविवार को दोनों बस से टेंगरा मोड उतरकर वहां से लगभग बीस किलोमीटर दूर पैदल चलकर रात नौ बजे गांव पर पहुंचे। पूर्व में मिली जानकारी के अनुसार परिजनों ने खेत में टेंट लगाकर उनके रहने की व्यवस्था कर दी थी। घर से खाना भी उपलब्ध करा दिया गया व दोनों ने वहीं रात्रि विश्राम किया। राकेश की मां कुसुम देवी व राम अवतार की मां जीरा देवी की दशा देखकर सब लोग परेशान रहे। सोमवार की दोपहर प्रधान पति व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ दोनों को थर्मल स्कैनिग के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जमालपुर लाया गया। उपचार के बाद उन्हें घर वापस गांव भेजा गया। प्रधान पति नरसिंह चौहान ने बताया कि गांव के बाहर एक खाली पड़े मकान में दोनों को ठहराया गया है। चौदह दिनों तक वे सेल्फ आइसोलेशन में रहेंगे।


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