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हजरत इमाम हुसैन व 72 शहीदों पर डाला प्रकाश

पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी मोहर्रम की नौचंदी जुमेरात पर गैबी घाट स्थित सैयद •ौगम अली के आवास पर एक मजलिस हुई। जिसमें हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 शहीदों की कुर्बानियों पर प्रकाश डाला गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 08:35 PM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 08:35 PM (IST)
हजरत इमाम हुसैन व 72
शहीदों पर डाला प्रकाश
हजरत इमाम हुसैन व 72 शहीदों पर डाला प्रकाश

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी मोहर्रम की नौचंदी जुमेरात पर गैबी घाट स्थित सैयद •ौगम अली के आवास पर एक मजलिस हुई। जिसमें हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 शहीदों की कुर्बानियों पर प्रकाश डाला गया।

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मजलिस को संबोधित करते हुए जनाब तनवीर रजा ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भाई और सिपहसालार हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम की वफादारी और बहादुरी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे अकेले ही जालिम यजीद और उसकी फौज के लिए काफी थे। लेकिन मोहम्मद साहब के नवासे नाती इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का मुख्य उद्देश्य इस्लाम धर्म और उसके नियमों की रक्षा करना था। जिससे यजीद और उसके कुछ साथी मिलकर समाप्त करना चाहते थे। कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने भाई हजरत अब्बास को प्यासे बच्चों के लिए पानी लाने के लिए फोरात नदी पर भेजा। जहां यजीदी फौज ने उनपर धोखे से हमला करके उनके दोनों हाथों को कलम कर दिया। जिससे वे पानी नहीं ला सके और फोरात के किनारे शहीद कर दिए गए। इसके बाद अलम का जुलूस निकाला गया जो अपने पुराने रासते गैवी घाट इमामगंज चेतगंज इमामबाड़ा चौराहा होता हुआ कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में शिया समुदाय समेत सभी समुदाय के लोग भी सम्मिलित थे। मजलिस में सो•ा ़खानी और मरसीया ़खानी सैयद नफीस उल रिजवी और समर आब्दी ने की पेश़खानी  हसन जौनपुरी और नोहे कहानी सैयद मोहसिन अली सैयद मासूम रजा तथा तौसीफ हैदर और एहसान रजा ने किया। इनसेट

मीरजापुर : सोमवार को मोहर्रम की नौ तारीख को स्वर्गीय अनवर मिर्जापुरी के आजा खाना बल्ली का अड्डा पर एक मजलिस का आयोजन किया गया। जिसमें दुलदुल निकाला गया। वही मजलिस में शिया समुदाय के लोगों द्वारा सीना सनी वह जंजीर का मातम किया गया। इसमें सो•ा ख्खानी सैयद इरति•ा हुसैन ने किया। वही पेश ख्वानी सैयद नफीस उल रिजवी ने किया। मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन के 72 शहीदों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हुसैन इस्लाम को बचाने के लिए अपने पूरे घर की कुर्बानी दी। इसके साथ ही नोहे खानी नदीम पाशा सैयद •ौगम अली और तौसीफ हैदर ने किया।


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