नक्सल क्षेत्र के स्कूलों में अध्यापकों की कमी
स्थानीय ब्लाक अंतर्गत नक्सल क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में है। स्कूलों में पढ़ाई न होने के कारण बच्चें निजी कार्यों में लग गए।
जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर ) : स्थानीय ब्लाक अंतर्गत नक्सल क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में है। स्कूलों में पढ़ाई न होने के कारण बच्चे अन्य घरेलु कार्यों में लग गए हैं। स्कूलों में दाखिला कराने के बाद अभिभावकों में ¨चता एवं आक्रोश बढ़ रहा है। एक अध्यापक के सहारे तीन-तीन कक्षाएं चलाई जा रही है। स्कूलों में शिक्षकों के संकट पर शिक्षा विभाग के अधिकारी मौन बने साधे हुए हैं। सर्वशिक्षा अभियान की खिल्ली उड़ाई जा रही है।
क्षेत्र के अभिभावकों का कहना है कि एक तरफ सरकार प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करने के लिए संकल्पित है और पानी की तरह पैसा भी बहा रही है। इसके बाद भी शिक्षकों की कमी है। आरोप लगाया कि स्थानीय शिक्षा विभाग व प्रशासन की तरफ से स्कूल चलो रैली निकालकर स्कूलों में बच्चों का शतप्रतिशत नामांकन कराने की अपील किया जाता है। बच्चों का तो नामांकन करा दिया जाता है तो पता चलता है कि शिक्षक की कमी है और एक ही शिक्षक के सहारे स्कूल संचालित हो रहा है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो राजगढ़ के अटारी, कुंदरुप, सेमरा, देवपुरा प्राथमिक विद्यालय समेत दर्जनों विद्यालय हैं। जहां एक ही शिक्षक के सहारे स्कूल चलाया जा रहा है। जिससे बच्चों को सही तरीके से ज्ञान नहीं मिल पाता है और उनके भविष्य को अंधकारमय होने का भय बना हुआ है। वही समय की भी बर्बाद हो रहा है। अभिभावक मनीष चौहान ने बताया कि यदि अध्यापकों की नियुक्ति नहीं हुई तो अपने बच्चों को विद्यालय से हटा लेंगे और अन्यत्र कहीं नाम लिखाएंगे या किसी रोजी-रोटी में उनको लगा देंगे। जिससे बच्चे का भविष्य और समय ना बर्बाद हो। -वर्जन
विद्यालय में अध्यापकों की कमी तो है ही लेकिन अभिभावकों में भी जागरूकता का अभाव है। जल्द ही सभी विद्यालयों पर शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी और स्थिति सामान्य हो जाएगी।
- प्रदीप कुमार ¨सह, खंड शिक्षा अधिकारी राजगढ़