धनुष यज्ञ की कथा सुन भक्तों ने लगाए जयश्रीराम के उद्घोष
मवईखुर्द देवघटा पांडेय स्थित राजकीय बालिका हाईस्कूल के पास चल रहे राम कथा के छठवें दिन हरिद्वार से पधारे स्वामी कृष्णानंद महराज ने धनुष यज्ञ की कथा सुनाई। महराज ने कहा राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए प्रतिज्ञा की थी कि जो शिवधनुष को तोड़ेगा उसी से सीता का विवाह होगा।
जासं, हलिया (मीरजापुर) : मवईखुर्द देवघटा पांडेय स्थित राजकीय बालिका हाईस्कूल के पास चल रहे राम कथा के छठवें दिन हरिद्वार से पधारे स्वामी कृष्णानंद महराज ने धनुष यज्ञ की कथा सुनाई। महराज ने कहा राजा जनक पुत्री सीता के विवाह के लिए प्रतिज्ञा की थी कि जो शिवधनुष को तोड़ेगा उसी से सीता का विवाह होगा। महराज ने कहा कि जिसमें भूमंडल के सभी राजाओं को आमंत्रित किया गया। विश्वामित्र मुनि अपने साथ राम लक्ष्मण को लेकर जनकपुर में पहुंचे जहां गुरु की आज्ञा पाकर भगवान श्रीराम ने धनुष को तोड़ दिया। जिसकी टंकार सुनकर आवेश में परशुराम ने पहुंचकर धनुष तोड़ने वाले राजा का नाम पूछा तब भगवान श्री राम ने कहा कि प्रभु आपका कोई दास ही होगा, जो इस धनुष का भंजन कर सकता है। शंका समाधान करने के लिए परशुराम ने धनुष देकर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा भगवान के हाथ में पहुंचते ही स्वयं प्रत्यंचा चढ़ गयी। इसके बाद चारों भाइयों का स्वयंवर संपन्न हुआ क्रम में श्री रामचंद्र जी से सीता का विवाह हुआ लक्ष्मण जी से उर्मिला का भरत जी से मांडवी का शत्रुघ्न से श्रुतिकीर्ति का विवाह हुआ। गुरु की आज्ञा पाकर बारात वर-वधू के साथ जनकपुर पहुंच गई।