जल-संकट बढ़ा, ग्रामीण तबाह
जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर) : स्थानीय विकास खंड के विभिन्न गांवों में पेयजल की काफी किल्लत है
जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर) : स्थानीय विकास खंड के विभिन्न गांवों में पेयजल की काफी किल्लत है। जिससे कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वही गांव वालों की समस्या को देखते ही क्षेत्र के निजी बोर मालिक अपने सबमर्सिबलों से पानी मुहैया करा रहे हैं। इससे बस्ती के लोग किसी तरह अपनी प्यास बुझा रहे हैं। यहां तक कि वे मवेशियों के लिए भी पानी उपलब्ध करा रहे है। आरोप है कि विभागीय स्तर से पेयजल समस्या मात्र कागजों तक सिमटी हुई है।
विकास खंड ग्राम पंचायतों से करोड़ों रूपये चाहे भले ही खर्च हो गए हो लेकिन 10/20 फीसदी के अलावा उनके कराए गए सभी बोरवेल फेल हो गए है। जबकि कम पैसे से गांव के कुछ लोगों ने निजी बोर कराया है। जहां पानी पर्याप्त मात्रा में आ रहा है। इसी से सारी बस्ती के लोगों को पानी मिल रहा है। जब तक बिजली रहती है तब तक झुंड के झुंड में आकर लोग पानी भरते हैं। दिन व रात बाल्टियों की खन-खनाहट सुनाई देती है। 15 ग्राम पंचायतें चयनित
विकास खंड क्षेत्र के 15 ग्राम पंचायतें श्यामाप्रसाद मुखर्जी ररबन योजना में चयनित है। जिसमें पेयजल, सोलरलाइट, सड़क, शौचालय, आवास, अस्पताल, विद्यालय, व्यवसाय साधन आदि यानी गांव को शहर बनाने की योजना है। ये गांव भी भीषण पेयजल संकट में है। देवरी उत्तर और अब पटेहरा सांसद के गांव भी हैं। यहां भी पेयजल संकट है तीन वर्षों से चलाई जा रही योजनाएं भी शून्य दिख रही है। -यहां मिलता है पानी
पड़रिया कला के संतोष तिवारी, लालापुर के गोपाल तिवारी, करौदा के दुर्गेश ¨सह गोलू, रामचंद्रपुर के ठाकुर प्रसाद उपाध्याय व जमुना प्रसाद उपाध्याय पथरौर के सुरेश मिश्र, भगवान प्रसाद मिश्र, देवरी के उमाशंकर पांडेय, पटेहरा के कल्पनारायन मिश्र, नेवढि़या के कमलाशंकर पटेल, मझारी के गंगेश्वर प्रसाद व लालमणि पथरौर चक में भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र आदि लोग अपने खेत की हरियाली की अनदेखी करके केवल पेयजल संकट में ग्रामीणों को पानी दे रहे है।