झुलनी खोई गई तिनपतिया, जेमे हरी-हरी मोतिया ना..
घंटाघर के प्रागंण में रविवार आयोजित हुए कजरी संगीत समारोह में एक के बाद एक कजरी गीतों से ऐसा समां बंधा कि लोग घंटों इसका आनंद लेते रहे। जनपद व बाहर से आए हुए कजरी गायकों ने इस लुप्त हो रही परंपरा को जीवंत कर दिया। इस अवसर पर फरमाइशी कजरी गीत भी गाए गए जिन पर जमकर तालियां बजीं।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : घंटाघर के प्रांगण में शनिवार की रात आयोजित हुए कजरी संगीत समारोह में एक के बाद एक कजरी गीतों से ऐसा समां बंधा कि लोग घंटों इसका आनंद लेते रहे। जनपद व बाहर से आए हुए कजरी गायकों ने इस लुप्त हो रही परंपरा को जीवंत कर दिया। इस अवसर पर फरमाइशी कजरी गीत भी गाए गए जिन पर जमकर तालियां बजीं।
कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ कवि व साहित्यकार प्रमोद कुमार सुमन व नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर कजरी गायक पट्टर पांडे से हुई। उन्होंने मां की वंदना के बाद बेरि-बेरि घेरी आवैले बदरिया ना सुनाकर लोगों को आनंदित कर दिया। इसके बाद कु. कल्पना गुप्ता ने जबसे श्याम गए मोरे घर से, बरसै रोज बदरिया ना सुनाई। अमरनाथ शुक्ला ने हमरे मीरजापुर में अलमस्ती क चाल बा, बड़ा बेमिसाल बा ना सुनाकर लोगो का दिल जीत लिया। इसके बाद लोगों की फरमाइश पर प्रसिद्ध कजरी गीत झुलनी खोई गई तिनपतिया, जेमे हरी-हरी मोतिया ना सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। मनोज शर्मा ने भी बेहतरीन कजरी सुनाकर लोगों से खूब तालियां बजवाई। इसी क्रम में रितेश श्रीवास्तव, गणेश गुप्ता, डा. निराला यादव, शिवलाल गुप्ता, खोखा मीरजापुरी ने भी एक से बढ़कर एक कजरी गीत सुनाए। इस अवसर पर साहित्यकार गणेश गंभीर, अशोक यादव, इलियास भाई, ओमप्रकाश दूबे आदि लोग उपस्थित रहे। जब एडीएम ने पकड़ी माइक
कजरी की रस वर्षा का आनंद ले रहे एडीएम राजित राम प्रजापति से भी रहा नहीं गया और उन्होंने जाकर माइक पकड़ ली। उन्होंने एक निर्गुन सुनाकर वहां उपस्थित लोगों को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। उनके गीत के बाद कई लोग उन्हें बधाई देते दिखे।