अंतर्मुखी हो आत्म मंथन करें मनुष्य
गनेशगंज में चल रहे श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास विष्णुधर द्विवेदी ने प्रहलाद के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि समुद्र मंथन की कथा में कहा कि यदि मानव कच्छप की तरह अंर्तमुखी होकर आत्म मंथन करें तो उसके ह्दय मेंही अमृत का प्राकट्य हो सकता है। उसका कल्याण हो जाएगा। यदि देव बुद्धि को लेकर मंथन करें तो अमृत और दुष्प्रवृत्ति को लेकर मंथन करने पर महज विष प्राप्त होता है। आगे श्रीरामकथा का श्रवण कराते हुए कहा कि यज्ञ तीन सात्विक राजस और तामस फल एक राम मोझ सबको मिला। दशरथ को जनक को रावण को भी। कथा सुनकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए।
जासं, मीरजापुर : गनेशगंज में चल रहे श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास विष्णुधर द्विवेदी ने प्रहलाद के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि समुद्र मंथन की कथा में कहा कि यदि मानव कच्छप की तरह अंर्तमुखी होकर आत्म मंथन करें तो उसके ह्दय में ही अमृत का प्राकट्य हो सकता है। उसका कल्याण हो जाएगा। यदि देव बुद्धि को लेकर मंथन करें तो अमृत और दुष्प्रवृत्ति को लेकर मंथन करने पर महज विष प्राप्त होता है। आगे श्रीरामकथा का श्रवण कराते हुए कहा कि यज्ञ तीन, सात्विक, राजस और तामस फल एक राम मोझ सबको मिला। दशरथ को, जनक को, रावण को भी। कथा सुनकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए।