Move to Jagran APP

जोर-जुल्म के लिए उठने वाले हाथों ने थाम ली जिदगी की डोर

दुनियाभर की तोहमत और बुराइयों का पर्याय बने अपराधियों के सीने में भी इंसान का कलेजा धड़कता है। इसका उदाहरण जनपद कारागार में दिन-रात मास्क बना रहे वे बंदी हैं जो खुद तो कैद हैं लेकिन आजाद अपनों की जिदगी बचाने में जुटे हुए हैं। कभी जोर-जुल्म के लिए उठने वाले हाथों ने सूई और धागे से जिदगी का तानाबाना बुनना शुरू किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 09:33 PM (IST)
जोर-जुल्म के लिए उठने वाले हाथों ने थाम ली जिदगी की डोर
जोर-जुल्म के लिए उठने वाले हाथों ने थाम ली जिदगी की डोर

मनोज द्विवेदी, मीरजापुर :

loksabha election banner

दुनियाभर की तोहमत और बुराइयों का पर्याय बने अपराधियों के सीने में भी इंसान का कलेजा धड़कता है। इसका उदाहरण जनपद कारागार में दिन-रात मॉस्क बना रहे वे बंदी हैं, जो खुद तो कैद हैं लेकिन आजाद अपनों की जिदगी बचाने में जुटे हुए हैं। कभी जोर-जुल्म के लिए उठने वाले हाथों ने सूई और धागे से जिदगी का ताना-बाना बुनना शुरू किया है। कोरोना महामारी से बचने में मॉस्क की उपयोगिता क्या है, यह इसकी ब्लैक मार्केटिग को देखकर समझा जा सकता है। ऐसे हालात में कैदियों द्वारा तैयार मॉस्क मात्र छह रुपये की कीमत में उपलब्ध होगा।

जिला जेल में कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए सिलाई मशीनें आई थीं। इसी दौरान कोरोना महामारी ने पांव पसारना शुरू कर दिया। मॉस्क की बढ़ती डिमांड को देखते हुए जिला कारागार में मॉस्क तैयार करने की शुरूआत हुई। पहला आर्डर सोनभद्र जिले से मिला। इसके बाद डीएम मीरजापुर ने छह हजार मॉस्क तैयार करने का आर्डर दिया। इसके लिए उन्होंने सिलाई मशीनें भी उपलब्ध कराईं। जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी ने भी दो हजार मॉस्क बनाने का आर्डर दिया है। जेल अधीक्षक अनिल राय ने बताया कि मॉस्क बनाने के लिए कच्चा माल, कपड़ा, सैनिटाइज्ड टिशू पेपर, धागे और इलास्टिक थोक मार्केट से खरीदे गए हैं। कुछ सिलाई मशीनें कारागार प्रशासन से भी मिली हैं। उन्होंने बताया कि एक मॉस्क तैयार करने में कुल छह से 10 रुपये का खर्च आ रहा है और इसकी बिक्री भी इसी दर पर की जाएगी। एक-दो दिन में मिले आर्डर की सप्लाई कर दी जाएगी। इसके बाद तैयार मॉस्क बाजारों में भी भेजा जाएगा।

मन से जुट गए कैदी

जिला जेल में कुल कैदियों की संख्या छह सौ के आसपास है। इस समय कुल 14 कैदी मिलकर रोजाना आठ सौ मॉस्क तैयार कर रहे हैं। जेल अधिकारियों का कहना है कि जिलाधिकारी व जेल प्रशासन द्वारा अतिरिक्त सिलाई मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। मॉस्क की पूर्ति के लिए और कैदियों को इस कार्य से जोड़ा जाएगा। सभी कैदी कोरोना से जंग में शामिल होना चाहते हैं।

सैनिटाइजेशन का पालन

जेल अधीक्षक ने बताया कि यहां तैयार होने वाले मास्क को सप्लाई करने से पहले पूरी सतर्कता बरती जाती है। सैनिटाइज्ड टिशू पेपर का इस्तेमाल होता है। फाइनल हो चुके मास्क को धूप में निश्चित समय तक सुखाया जाता है। इतना ही नहीं इसकी पैकेजिग तक सैनिटाइजेशन नियमों का पूरा पालन किया जाता है।

-----वर्जन

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मास्क पहनना जरूरी है और इसकी मांग बहुत बढ़ गई है। इसलिए जिला कारागार के कैदियों द्वारा यह अच्छा कार्य किया जा रहा है, हम सभी इस जंग में साथी हैं।

- अनिल कुमार राय, जेल अधीक्षक, मीरजापुर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.