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गोसरंक्षण केंद्र के गोसेवकों को आर्थिक संकट से मिलेगी निजात

प्रदेश में शासकीय धनराशि से स्थापित एवं संचालित ग्राम पंचायतों में गोसरंक्षण केंद्रों पर कार्य करने वाले गोसेवकों (श्रमिक) और संरक्षित गोवंश के लिए राज्य सरकार की तरफ से काफी अच्छी खबर है। अब इन गोशालाओं में गोसेवा का कार्य कर रहे श्रमिकों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इनके बच्चे भूखे नहीं रहेंगे और न ही बीमारी में उपचार के लिए पैसे की कमी बाधक बनेगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 05:17 PM (IST)
गोसरंक्षण केंद्र के गोसेवकों को आर्थिक संकट से मिलेगी निजात

जागरण संवाददाता, लालगंज (मीरजापुर) : प्रदेश में शासकीय धनराशि से स्थापित एवं संचालित ग्राम पंचायतों में गोसरंक्षण केंद्रों पर कार्य करने वाले गोसेवकों (श्रमिक) और संरक्षित गोवंश के लिए राज्य सरकार की तरफ से काफी अच्छी खबर है। अब इन गोशालाओं में गोसेवा का कार्य कर रहे श्रमिकों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इनके बच्चे भूखे नहीं रहेंगे और न ही बीमारी में उपचार के लिए पैसे की कमी बाधक बनेगी। इससे गोशालाओं में संरक्षित गोवंशों की उचित देखभाल हो सकेगी और किसानों के खेतों में फसल सुरक्षित होगी। गेहूं व धान के हार्वेस्टिग के बाद पड़े अवशेष नहीं जलाएंगे बल्कि उसका थ्रेसिग से भूसा तैयार कर संरक्षित गोवंशों के लिए भंडारण किए जा सकेंगे।

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राज्य सरकार ने अपनी मंशा को स्पष्ट करते हुए राज्य वित्त आयोग से गोशालाओं के लिए ग्राम पंचायतों को एक विशेष बजट खर्च करने का प्रावधान किया है। जनवरी 2019 से संचालित किए जा रहे गोशालाओं में कार्यरत श्रमिकों (गोसेवक) के लिए अभी तक शासन की तरफ से पारिश्रमिकी की व्यवस्था नहीं की गई थी। गोशालाओं पर श्रमिक आर्थिक विपन्नता को सहकर गोसेवा कार्य करते आ रहे थे। राज्य सरकार ने उनको भी राज्य वित्त आयोग से पारिश्रमिक देने की मंशा को स्पष्ट करते हुए शासनादेश जारी किया है।

बता दें की अभी तक राज्य सरकार से गोशालाओं में संरक्षित गोवंशो के भरण पोषण के लिए प्रति गोवंश तीस रुपये प्रतिदिन की दर से मिलता है लेकिन इस बजट को सिर्फ चारा भूसा पर ही खर्च करने के अधिकार दिए गए थे। यह भी इतना कम धनराशि है कि एक पशु के लिए इस महंगाई में तीस रुपये नाकाफी है। गोसेवकों (श्रमिक) को डेढ वर्ष से बिना पारिश्रमिक के काम करना पड़ रहा था। विशेष परिस्थिति में ग्राम प्रधान ही गोसेवकों का सहारा बनते थे। गोसेवकों को दिया जाएगा पारिश्रमिक

राज्य सरकार ने शासनादेश संशोधित कर ग्राम पंचायतों में संचालित गोशालाओ के लिए कुछ नए अधिकार दे दिए हैं। राज्य सरकार द्वारा 2 जून 2020 को जारी राज्यदेश में स्पष्ट कहा गया है कि निर्धारित गोवंश के संख्या के अनुसार रखे गए गौसेवको को पारिश्रमिक दिया जाएगा। इसके साथ ही संरक्षित गोवंशों को चारा भूसा भंडारण परिवहन तथा किसानों के खेतों में हार्वेस्टिग के बाद खेत में पड़े अवशेष को किसान की मर्जी पर भूसा बनाने में खर्च का व्यय राज्य वित्त आयोग से ही किया जा सकेगा। इसके लिए राज्य वित्त आयोग से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए प्रदेश भर की संचालित गोसरंक्षण केंद्रों के लिए बजट के इंतजाम किए गए हैं। राज्य वित्त आयोग के मद से गोशालाओ पर अनुरक्षण कार्य के साथ भूसा चारा को सुरक्षित रखने के लिए बांस रस्सी पर भी व्यय करने की व्यवस्था की गई है। इससे प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री द्वारा गोवंशों के प्रति सम्मान और उनकी सुरक्षा की मंशा की स्पष्ट झलक मिलती है। वर्जन

अब राज्य वित्त आयोग से गोशालाओं में कार्यरत गोसेवकों को पारिश्रमिक दिए जाने का शासनादेश प्राप्त हुआ है। जिला स्तर पर गाइडलाइन तैयार की जा रही है। 25 गोवंश पर एक गौ सेवक होंगे। उन्ही के अनुसार पारिश्रमिक तय कर दी जाएगी। इसके अलावा राज्य वित्त आयोग से गोशाला का रख रखाव और गोवंश को अन्य सुविधाएं मुहैया की जाएगी। प्रत्येक श्रमिक को मनरेगा कांटिजेंसी से 201 रुपये पारिश्रमिक दिया जाएगा।

- डा. कपूर सिंह सीबीओ मीरजापुर।


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