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आग से झुलस रहे जंगल, बचाव करने में विभाग नाकाम

वन विभाग ने हर साल जंगलों में लगने वाली आग की घटना को रोकने के लिए इस बार खास तैयारी की है। वन रक्षकों के अलावा स्थानीय ग्रामीणों और जंगलों की जानकारी रखने वाले कुछ खास चरवाहों को आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ताकि आग की घटना होने पर वह तत्काल मौके पर पहुंचकर उसे बुझा सके।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 09:09 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 09:09 PM (IST)
आग से झुलस रहे जंगल, बचाव करने में विभाग नाकाम
आग से झुलस रहे जंगल, बचाव करने में विभाग नाकाम

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : वन विभाग ने हर साल जंगलों में लगने वाली आग की घटना को रोकने के लिए इस बार खास तैयारी की है। वन रक्षकों के अलावा स्थानीय ग्रामीणों और जंगलों की जानकारी रखने वाले कुछ खास चरवाहों को आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ताकि आग की घटना होने पर वह तत्काल मौके पर पहुंचकर उसे बुझा सके। इसके साथ ही बताया गया है कि आग की घटना होने पर उसे किस तरह से निपटा जा सके। कोई संसाधन उपलब्ध न होने पर मौके पर मौजूद संसाधनों से ही आग बुझाने का प्रयास करे। इसके लिए जंगली पड़ो की पतली डालियों को तोड़कर उसकी झाड़ियों और लाठी डंडे से पीट पीट कर आग बुझाए। फिर आग नहीं बुझती है तो अधिकारियों को मामले से अवगत कराते हुए फायर बिग्रेड को सूचित करे।

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गर्मी के मौसम में हर साल जंगलो में दस से पंद्रह आग की घटनाए होती है। समय से सूचना नहीं मिलने एवं फायर बिग्रेड की गाड़ी घटना स्थल तक नहीं पहुंच पाने के चलते कई एकड़ जंगल जलकर राख हो जाते है। इससे पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है जीव जंन्तुओं की झुलसने मौते हो जाती है। ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन को भारी क्षति होती है। आग की इस घटना में एक झटके के अंदर कई एकड़ जंगल साफ हो जाता है। कीमती लकड़िया जलकर नष्ट हो जाती है। इसको देखते हुए वन विभाग ने इस साल आग की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए है। वन रक्षकों, जंगल में सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों मजदूरों को भी आग बुझाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा कुछ खास चरवाहों जो जंगल में प्रतिदिन आते जाते है उनको भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। बताया गया कि जंगल या खेतों में आग लगने पर पानी की सुविधा हो तेा पानी से बुझा दे। कोई संसासन नहीं है तो पेड़ों की डालियों, डंडों झाड़ियों आदि से आग को पीट पीट कर बुझाने का प्रयास करे। मिटटी या बालू हो तो उसे भी फेंककर आग बुझाया जा सकता है। इसके अलावा भी आग नहीं बुझती है तो काउंटर फायर करने का प्रयास करे। जिससे काफी हद तक आग पर काबू पाया जा सकता है।

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ये हैं संवेदनशील इलाके

वन क्षेत्र के सबसे मिर्जापुर, चित्रकूट, सोनभद्र, चंदौली आदि इलाके में सबसे अधिक आग की घटनाए होती है। इसमें मीरजापुर में मड़िहान का बेला जंगल, सिरसी, ड्रमंडगंज, सोनभद्र का सुकृत, इसके अलावा चंदौली व चित्रकूट भी शामिल है।

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यहां बनाया काउंटर फायर लाइन

आग की बड़ी घटना को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से अपने क्षेत्र में 60 काउंटर फायर लाइन बनाई गई है। इसमें 20 मीरजापुर, दस सोनभद्र, दस चंदौली तथा 20 चित्रकूट आदि इलाके शामिल है।

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ये हैं काउंटर फायर लाइन

जंगलों में आग लगने पर उसे बुझाने में दिक्कत होती है। आग अधिक आगे तक न बढ़े इसके लिए जगह जगह दस से 40 फीट चौड़ी एक फायर लाइन बनाई जाती है। इस लाइन के बीच कोई पेड़ पौधे नहीं होते है। या यू कहे तो फायर लाइन बनाकर जंगल को दो फाड़ कर दिए जाते है। एक ओर से आग बढ़ती है तो दूसरी तरफ भी आग लगा दी जाती है। दोनों ओर से आग लगने पर यह आगे नहीं बढ़ पाती है।

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जंगलों को आग से बचाने के लिए कर्मचारियों के अलावा चारवाहों को प्रशिक्षण दिया गया है। ताकि आग की घटना होने पर उसे समय रहते वह बुझ सके। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में लगभग 60 फायर लाइने बनाई है जिससे आग की घटना होने पर उसे रोका जा सके।

राकेश चौधरी, प्रभागीय वनाधिकारी


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