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'रफ्तार' से मात खा रहे फायर ब्रिगेड के वाहन

जागरण संवाददाता, मीरजापुर: आग लगने पर उससे निपटने के इंतजाम नाकाफी है। साथ ही दमकल वाहनों की रफ्त

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 May 2018 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 10:44 PM (IST)
'रफ्तार' से मात खा रहे फायर ब्रिगेड के वाहन
'रफ्तार' से मात खा रहे फायर ब्रिगेड के वाहन

जागरण संवाददाता, मीरजापुर: आग लगने पर उससे निपटने के इंतजाम नाकाफी है। साथ ही दमकल वाहनों की रफ्तार इतनी धीमी होती है कि घटना स्थल की दूरी तय करने में कई घंटे लग जाते है। ऐसे में दमकल कर्मियों के पहुंचने के पूर्व काफी कुछ तक खाक हो चुका होता है। आग बुझाने के लिए पहुंची टीम केवल औपचारिकाएं ही निभाती है।

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एक मार्च से तीस जून तक का फायर सीजन माना जाता है। इस दौरान आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं होती है। सबसे ज्यादा आग खेत-खलिहान व जंगलों में लगती है। खेत में आग लगने पर कुछ ही देर में सब कुछ स्वाहा हो जाता है। आग की घटनाओं से निपटने के लिए फायर सीजन के लिए तहसील मुख्यालयों पर बिग्रेड यूनिट स्थापित की गई हैं। इसके अलावा जिला मुख्यालय पर एक यूनिट रहती है। दमकल वाहनों की रफ्तार इतनी धीमी रहती कि वे सड़क खाली होने पर भी वे अधिकतम पैतीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ही दौड़ पाती है। इसकी वजह यह है कि दमकल वाहन में एक तो उपकरण लगे होते है, उसके अलावा टैंक में पानी भरा होने से वाहन काफी वजन होता है। जिसकी वजह से वाहन तेज गति से दौड़ नहीं पाते है। अधिक गति से

चलाने पर द‌रु्घटना होने की संभावना रहती है। 'फायर सेवा में जुड़े वाहन काफी वजनी होते है। इनको तेज गति से चलाना जोखिम का काम होता है'

सुरेंद्र प्रताप ¨सह

प्रभारी अग्निशमन अधिकारी।


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