जनसूचना अधिकार के तहत सरकार व प्रशासन को बनाएं जवाबदेह
सूचना का अधिकार अधिनियम अपनी यात्रा में काफी उपलब्धियां हासिल कर चुका है। नागरिकों को न केवल महत्वपूर्ण सूचनाएं ही प्राप्त हो रही हैं बल्कि ये सूचनाएं कई बार सिर्फ सूचनाओं तक ही नहीं सीमित होकर अपनी उपयोगिता कई परिप्रेक्ष्य में सिद्ध करती है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : सूचना का अधिकार अधिनियम अपनी यात्रा में काफी उपलब्धियां हासिल कर चुका है। नागरिकों को न केवल महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं बल्कि कई बार सिर्फ सूचनाओं तक ही सीमित न होकर इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है।सूचना का अधिकार कानून प्रत्येक नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है और इसमें टिप्पणियां, सारांश अथवा दस्तावेजों या अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है। सूचना की अनुपलब्धता की स्थिति में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी, द्वितीय अपील के साथ कुछ विशेष स्थितियों में सीधे तौर पर आयोग में भी अपील की जा सकती है। अधिनियम के माध्यम से सरकार और प्रशासन को क्रियाशील व जवाबदेह बनाया जा सकता है। जनसूचना के तहत आवेदनकर्ता को हतोत्साहित करने वालों के खिलाफ सूचना आयोग को सिविल न्यायालय का अधिकार है। आयोग युक्तियुक्त कारणों के आधार पर संबंधित जनसूचना अधिकारी के खिलाफ 25 हजार रुपये जुर्माने के साथ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करता है। दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम प्रश्न पहर के दौरान आरटीआई एक्टिविस्ट इरशाद अली ने पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। प्रस्तुत है सवाल व जवाब के महत्वपूर्ण अंश-
----------------------------- सवाल- गांव में कराए जा रहे विकास कार्यों की जानकारी कैसे मिलेगी।
जवाब- विकास कार्यों की जानकारी के लिए ब्लाक पर आवेदन करें।
सवाल- सूचना के तहत मांगी जानकारी नहीं दी जाती।
जवाब- जानकारी के लिए मुख्य विकास अधिकारी का रिमाइंडर भेजें।
सवाल- ऐसी भी कोई सूचना है क्या जो उजागर न किया जाए।
जवाब- सूचना गोपनीय रखने के लिए अधिनियम है। प्रताड़ना या शारीरिक उत्पीड़न की सूचना नहीं दी जाती। संबंधित विभागों की पोर्टल पर सूचनाएं उपलब्ध हैं।
सवाल- विकास कार्यों की सूचना मांगे जाने पर आजतक उपलब्ध नहीं कराई गई।
जवाब- जनसूचना अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करें।
सवाल- नगर पालिका से मांगी गई सूचना तीन माह बीत जाने के बाद भी नहीं मिली।
जवाब- सूचना न मिलने पर तीस दिन के बाद प्रथम अपील या 90 दिन के अंदर द्वितीय अपील कर सकते हैं।
सवाल- चकबंदी प्रक्रिया के समिति की सूचना नहीं दी जा रही है।
जवाब- अधिनियम में उल्लेखित उचित आधार को दर्शाकर अपील योजित किया जाए। सूचना यदि देय है तो उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सवाल- तालाब पर अतिक्रमण है, हट जाए तो लोगों को राहत मिलेगी।
जवाब- यदि सार्वजनिक तालाब पर अतिक्रमण है तो उसकी जानकारी के लिए डीएम के यहां आवेदन करें।
सवाल- विध्याचल में वाहन स्टैंडों के लिए टेंडर प्रक्रिया नगर पालिका ने मनमानी ढंग से कराया है, इसकी जानकारी कैसे मिलेगी।
जवाब- जनसूचना अधिनियम की धारा 6-1 के तहत आवेदन करें।
सवाल- मार्ग पर किए गए इंटरलाकिग की पटिया कुछ लोग उठा ले गए, इसकी शिकायत कैसे और किससे करें।
जवाब- लोक निर्माण विभाग में शिकायत करें।
सवाल- एनएच-सात मार्ग पर अधिग्रहण के लिए सरकार जबरदस्ती जमीन ले रही है, जो गैर कानूनी व असंवैधानिक है।
जवाब- जनसूचना आवेदन के माध्यम से अपनी आपत्ति प्रस्तुत करते हुए अधिग्रहण के बारे में पूछ सकते हैं।
सवाल- धारा 18-1 क्या है, जनसूचना के तहत आवेदन करने पर हतोत्साहित करने वाले के खिलाफ क्या करें।
जवाब- धारा 18-1 के तहत हतोत्साहित करने वाले के खिलाफ जुर्माना व अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ ही क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया जा सकता है।
सवाल- खाद्य रसद विभाग से संबंधित सूचना कैसे और कहां से मिलेगी।
जवाब- धारा 6-1 के तहत जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय पर सूचना के लिए आवेदन करें। इन्होंने पूछे सवाल
निरंजन सिंह भगवतीदेई चुनार, रामजनम सिंह जोगवां, डॉ. पुष्पेंद्र सिंह नीबी गहरवार, उदयप्रताप सिंह बरजीवनपुर, राजेश कुमार चैरसिया शिवपुर विध्याचल, गौरव उपाध्याय हलिया, मनोज कुमार सेमरा चुनार, महेंदर पांडेय विध्याचल, सुजीत सिंह मझवां, धर्मजीत सिंह जमुआर चुनार, अनुराग सिंह तिलठी, आकाश कुशवाहा चुनार।