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तीसरी लहर आने को बेताब, इलाज के मुकम्मल प्रबंध नहीं

जागरण संवाददाता अहरौरा (मीरजापुर) कोरोना की तीसरी लहर आने को बेताब हो रही है

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 07:38 PM (IST)
तीसरी लहर आने को बेताब, इलाज के मुकम्मल प्रबंध नहीं

जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर): कोरोना की तीसरी लहर आने को बेताब हो रही है, लेकिन इलाज का मुकम्मल व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाया है। शासन दावा कर रही है कि गांव हो या कस्बा सभी सी एच सी पर मरीजों के इलाज की व्यवस्था पूरी कर ली गई है। डेढ़ लाख की आबादी पर निर्भर एक मात्र अहरौरा सीएचसी में कोरोना संक्रमितों की इलाज की व्यवस्था का पूरा प्रबंध नहीं किया जा सका है।

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जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर व जमालपुर ब्लाक से 35 किलोमीटर दूर पर अहरौरा सीएचसी स्थित है। इस सीएचसी पर नगर की पचास हजार जनता के साथ ही क्षेत्र के 42 गांव के डेढ़ लाख की आबादी के इलाज का दारोमदार है। 1964 में अहरौरा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया ,इसके बाद नपा दवा तीन एकड़ जमीन सी एच सी के लिए उपलब्ध कराया गया जो 1990 में प्रस्तावित हुआ। सन 92 में कार्य शुरू हुआ और 1995 में 30 शैय्या का लोकार्पण किया गया। दो मंजिला बने इमारत के वार्ड में रखे बेड बदहाल पड़े हुए हैं। कहने को तो आठ चिकित्सको की तैनाती की गई है ,लेकिन आते हैं तो महज गिने चुने। तो वहीं तैनात सभी फार्मासिस्ट भी ड्यूटी पर नहीं आते हैं। मुख्यमंत्री का फरमान 30 बेड को बढ़ाकर 50 बेड किया जाना व कोविड से लड़ने की पूरी मुकम्मल व्यवस्था के साथ जो गंगा में जौ बोने जैसा नजर आ रहा। संसाधनों के अभाव में बदहाल है सीएचसी:

एक्सरे के लिए दो टेक्नीशियन की तैनाती की गई है जो वेतन तो विभाग से बराबर ले रहे हैं, लेकिन काम एक भी नहीं कर रहे हैं। जब इस बारे में पता लगाया तो एक्सरे मशीन का नहीं होने का रोना सुनाया गया। वही डेंटल चिकित्सक की तैनाती तो की गई है, लेकिन उन्हें चिकित्सकीय संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। जिस वजह से दांत के मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। सीएचसी में पैथालॉजी की कुछ जांच हो पाती है। स्पेशलिस्ट चिकित्सक नहीं होने से मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हो पाता है और न ही उन्हें एडमिट किया जा सकता हैं। अहरौरा सीएचसी बना रेफरल सेंटर:

वाराणसी शक्तिनगर मुख्यमार्ग से सटा होने के बाद आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है। दुर्घटना में घायलों को इलाज के लिए सी एच सी लाया जाता है जहां महज मरहम पट्टी कर उन्हें इलाज के लिए वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। आक्सीजन प्लांट का कैसे होगा संचालन:

साठ वर्षों से जहां इलाज की पूरी व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाई है। उस सी एच सी में आक्सीजन प्लांट का संचालन कैसे किया जाएगा यह आम लोगो को समझ नहीं आ रहा है। लोगो का मानना है कि आक्सीजन प्लांट भी कहीं इस केंद्र पर कागज तक ही सीमित नहीं रह जाए।


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