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बढ़ेगी पीतल नगरी के उत्पादों की चमक, मिलेगा नया स्वरूप

जागरण संवाददाता मीरजापुर प्रदेश का मीरजापुर अपने पीतल के बेहतरीन उत्पादों के नाते देश

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 04:30 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:13 PM (IST)
बढ़ेगी पीतल नगरी के उत्पादों की चमक, मिलेगा नया स्वरूप
बढ़ेगी पीतल नगरी के उत्पादों की चमक, मिलेगा नया स्वरूप

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : प्रदेश का मीरजापुर अपने पीतल के बेहतरीन उत्पादों के नाते देश और दुनिया में पीतल नगरी के नाम से विख्यात है। यहां के पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार इसे एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित कर चुकी है। इससे अब पीतल नगरी के उत्पादों की चमक बढ़ेगी। एक ओर जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, वहीं स्थानीय उत्पादों के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार के द्वार खुलेंगे। माना जा रहा है कि जल्द ही जनपद में एक्सपोर्ट सेंटर खोला जाएगा। इसके लिए अभी जमीन चिहित नहीं है।

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उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जिसका हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में 44 फीसद की हिस्सेदारी है। प्रदेश के हर जनपद को किसी विशेष कला एवं उत्पाद के लिए जाना जाता है। हालांकि सरकारी उपेक्षा, महंगी बिजली और इन उत्पादों की मांग में कमी आने तथा प्रोत्साहन के अभाव में कई परंपरागत उद्योग अब लुप्त होने की कगार पर हैं। कारीगर पीढि़यों से अपने आसपास उपलब्ध संसाधन से कोई न कोई खास उत्पाद को तैयार तो कर रहे हैं लेकिन तकनीक एवं पूंजी की कमी के चलते वह बदलते बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं। अब हालात यह है कि जो परिवार वर्षों से इन व्यवसाय से जुड़े रहे हैं, आज उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया था। हालांकि ओडीओपी योजना के लागू होने के बाद कारीगरों को अपने परंपरागत उद्योगों से जुड़े रहने की एक बड़ी वजह मिल गई है। प्रदेश सरकार की योजना के तहत जनपद की प्रसिद्धि बढ़ाने वाले चुनिदा उत्पादों को और अधिक तराशा जा रहा है। इससे जनपदों की विशिष्टता बरकरार रहे व उससे जुड़े कारीगरों की रोजी-रोटी का स्थायी बंदोबस्त भी हो जाए। मीरजापुर के कालीन के बाद पीतल उद्योग को भी ओडीओपी योजना में शामिल किया गया है। जाहिर है कि आने वाले समय में मीरजापुर जनपद कुछ उत्पादों का हब बनकर उभरेगा। योजना से स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार एवं उससे जुड़े कारीगरों की दक्षता में वृद्धि होगी। आजादी के बाद पहली बार आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।

--------------- बैंकों की कार्यशैली है सबसे बड़ी बाधा

शहर में छोटे-बड़े कुल मिलाकर एक हजार कारखाने हैं। व्यापारी रूपेश वर्मा ने कहा कि योजनाओं के सफल क्रियांवयन में सबसे बड़ी बांधा बैंकों की कार्यशैली है। सरकार को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बैंक का सहयोग नहीं मिला तो योजना का लाभ व्यापारियों को नहीं मिल सकेगा।


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