तालाबों के सौंदर्यीकरण से मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा
जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर) : पहले गांव या क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा तालाब की खुदाई
जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर) : पहले गांव या क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा तालाब की खुदाई कराकर उसके चारों ओर पक्का घाट बनवाने के साथ मंदिर का निर्माण भी कराया जाता था, ताकि तालाब में स्नान के जो लोग चाहे वे मंदिर में पूजा पाठ भी कर लें। लेकिन आज देखरेख के अभाव में पुराने तालाब पटते जा रहे हैं। नगर पालिका क्षेत्र अहरौरा में भी कुल छह तालाब हैं जो लगभग डेढ़ से दो सौ वर्ष पूर्व बनाए गए हैं। अब देख रेख के अभाव में सभी नष्ट हो रहे हैं, उनके घाट टूट गए हैं नगर का गंदा पानी उसमें बहाया जा रहा है। बोलिया पोखरा
बोलिया पोखरा का निर्माण कटरा पर जाने वाले रास्ते में पांडेय जी गोला के दक्षिण तरफ पंडित देवराज पांडेय द्वारा 1820 के आस पास कराया गया था। उस समय पोखरे के चारो तरफ पक्का घाट बनाया गया था। तालाब के पश्चिम तरफ हनुमान जी का सुंदर मंदिर भी स्थित है। दक्षिण तरफ भी एक पुराना मंदिर है जिसमें कई देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। लेकिन आज यह नगर के सबसे गंदे तालाब में सुमार हो गया है। चारो तरफ के घाट टूट कर गिर गए हैं। इसमें आस पास के घरों का गंदा पानी आ रहा है।
रामसगरा पोखरा ..
इस तालाब का निर्माण भी 1820 के आस पास पंडित देवराज पांडेय द्वारा नगर के दक्षिण तरफ बेलखरा गांव में जाने वाले रास्ते के किनारे कराया था । इस तालाब की स्थिति काफी खराब है देख रेख के अभाव में इसके घाट भी टूट चुके हैं।
अहरौरा मेन कैनाल से निकलने वाली एक नहर को इस तालाब में एक तरफ गिराया गया है तो फिर दूसरे तरफ से नहर को तालाब में जोड़ कर पानी ले जाया जाता है । यह तालाब के साथ ¨सचाई का भी काम कर रहा है। पुराना पोखरा
इस तालाब का निर्माण काशी नरेश महीप नारायण ¨सह द्वारा सन् 1800 के आसपास कराया था। तालाब के चारो तरफ कुल चौदह मंदिरों का निर्माण कराया गया था लेकिन पूरब तरफ बनाए गए अधिकांश मंदिर जर्जर स्थिति में हैं। कुछ मंदिरों की मरम्मत स्थानीय लोगों द्वारा कराया गया है ।तालाब की स्थिति भी जीर्णशीर्ण होती जा रही है। सहुवाइन पोखरा
इस तालाब का निर्माण गंगाप्रसाद शिवरतन लाल द्वारा 1850 के आसपास कराया गया था। आज भी सहुवाइन परिवार के द्वारा देख रेख किए जाने के कारण यह पोखरा सबसे अच्छी स्थिति में है। इस तालाब के पश्चिम तरफ मंदिर तो पूरब तरफ गुरुद्वारा स्थित है। जो आपसी भाईचारा को बढ़ावा दे रहा है। इस तालाब पर दशहरा का मेला भी लगता है और देव दीपावली भी यहां मनायी जाती है।
पियरवा पोखरा
इस तालाब का निर्माण 1844 के आसपास बेचूलाल कन्हैयालाल द्वारा कराया था। देख रेख के अभाव में तालाब के पूरब तरफ बनाए गए घाट टूट गए हैं। इस पोखरे के पक्षिम तरफ भगवान शंकर का मंदिर काफी खूबसूरत बना है जिसकी नक्काशी काफी अच्छी है । तालाबों की देखरेख व सफाई न होने से तालाबों की खूबसूरती प्रभावित हो रही है। चित्तविश्राम पोखरा
इस तालाब का निर्माण भी 1850 के आसपास गंगाप्रसाद शिवरतन लाल द्वारा कराया जाना बताया जाता है। इस तालाब के स्थिति भी अत्यंत दयनीय है। देख रेख के अभाव में तालाब पटता जा रहा है। चारो तरफ के घाट टूट कर समाप्त हो गए हैं ।
नगर के आसपास निर्मित सभी प्राचीन तालाबों की मरम्मत करा कर सुंदरीकरण करा दिया जाय तो बहुत ही सुंदर पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है । ये सभी तालाब जल संरक्षण के सबसे सुंदर श्रोत बने हुए हैं। इससे जल स्तर बना रहता है। नगरपालिका को तालाबों के सौदर्यीकरण पौध रोपण पार्क आदि की कार्ययोजना बनाना चाहिए। वर्जन..
नगर में स्थित सभी तालाब निजी है इसलिए नगर पालिका चाह कर भी उनका सुंदरीकरण अथवा मरम्मत नहीं करा पा रही है । उसके सुंदरीकरण के लिए दावेदारों को आगे आना चाहिए।
-विनय कुमार तिवारी, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद-अहरौरा मीरजापुर।