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करोड़ों की लागत का बंजारी बंधा अनुपयोगी

हलिया विकास खंड में सन् 1967 से लगातार कई वर्ष तक पड़े भयंकर अकाल से देश में भुखमरी से कितने लोग समाप्त होने से तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने सूखे से निपटने के लिए दीर्घायु सिचाईं के लक्ष्य से संभावित क्षेत्रों में बंधा निर्माण की योजना शुरू की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 07:06 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 10:57 PM (IST)
करोड़ों की लागत का बंजारी बंधा अनुपयोगी

जागरण संवाददाता, गड़बड़ाधाम (मीरजापुर) : हलिया विकास खंड में सन् 1967 से लगातार कई वर्ष तक पड़े भयंकर अकाल से देश में भुखमरी से कितने लोग समाप्त होने से तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने सूखे से निपटने के लिए दीर्घायु सिचाईं के लक्ष्य से संभावित क्षेत्रों में बंधा निर्माण की योजना शुरू की गई। उसी समय सन 1960 में मड़वा में खोदाईपुर के नाम से मिट्टी के दो किलोमीटर लंबा, लगभग 20 मीटर ऊंचा बंधे का निर्माण शुरू कर दिया गया। जो कि कई करोड़ों के लागत के बाद 1963 में बनकर तैयार हो गया। साथ ही लगभग दो किलोमीटर लंबी नहर की खुदाई भी की गई। जिसके तहत मड़वा धनावल, खोदाईपुर, करनपुर कठारी भैसोड़ जेर, चंद्रगढ़, महोगढ़ी, देवहट, सेमरिहा समेत दर्जनों गांवों के किसान उक्त बंधे से सिचाईं करने की योजना बनाई गई थी।

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इस परियोजना से वंचित पैरल ग्राम बंजारी कला इंद्रवार धनावल के असिचित भूभाग को सिचित करने के उद्देश्य तत्कालीन सिचाईं मंत्री लोकपति त्रिपाठी के प्रयास से सन 1986 में दो किलोमीटर लम्बा तथा लगभग 15 मीटर ऊंचा मिट्टी का बड़ा बांध का निर्माण की योजना स्वीकृत की गई थी। यह जानकारी स्थानीय निवासी शिवदान सिंह द्वारा दी गई। जो कि 1989 में कार्य आरम्भ हुई तत्क्षण एसी सतीश चंद्र मिश्रा व जेई रघुवंश सिंह थे। वह कई वर्ष में करोड़ों रुपये की लागत से सन् 2004 में तैयार किया गया तथा नहर भी खुदाई की गई। उक्त दोनों बंधे सरकारी तंत्र के उपेक्षा के कारण आज की स्थिति में अनुपयोगी हो गए हैं। मजे की बात यह है कि जहां एक ओर यह परियोजना सिचाई के लिए महत्वपूर्ण तो थे। उससे कहीं ज्यादा गर्मी के मौसम में वन्यजीवों के लिए भी इन दोनों बंधों का बड़ा महत्व है लेकिन दुर्भाग्य से आज इनसे संबंधित लगभग दर्जनों गांवों के किसानों की उपजाऊ जमीन सिचाई के अभाव में परती रह जा रही है। किसानों को मिला सिर्फ आश्वासन

इस संबंध में स्थानीय किसान विनय सिंह, छोटे सिंह, सूर्य प्रताप सिंह, दिलीप सिंह, अभय सिंह, संजय सिंह, तेजबली दुबे आदि सैकड़ों किसानों का कहना है कि इन दोनों बंधों को समीप के ही सुखड़ा बंधे से जोड़ दिया जाय तो हजारों एकड़ असिचित जमीन सिचित हो जायेगी। तथा मोदी सरकार के किसानों की आय दुगुनी करने की मंशा के लिए यह दोनों परियोजना वरदान साबित होगी। सिचाईं के अलावा गर्मियों के मौसम में वन्यजीवों जानवरों वेजुबान पशु पक्षियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। बताया कई बार वर्तमान व पूर्व के जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई लेकिन आज तक सभी ने आश्वासन देते रहे।


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