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कपट छोड़ कथा सुनने से पूर्ण होती है मनोकामना

प्रभु की भक्ति पाने के लिए कपट छोड़कर उनकी शरण में जाकर कथा सुनना पड़ता है जो भक्त कपट को त्याग करके कथा सुनता है। उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नगर के महुवरिया में बीएलजे इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के चौथे दिन व्यासपीठ से दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने कहा। कार्तिक माह के महिमा का बखान करते हुए कथावाचक ने कहा कि इस माह में किया गया दान कई गुना अधिक हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 10:50 PM (IST)
कपट छोड़ कथा सुनने से  पूर्ण होती है मनोकामना
कपट छोड़ कथा सुनने से पूर्ण होती है मनोकामना

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : प्रभु की भक्ति पाने के लिए कपट छोड़कर उनकी शरण में जाकर कथा सुनना पड़ता है, जो भक्त कपट को त्याग करके कथा सुनता है। उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नगर के महुवरिया में बीएलजे इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के चौथे दिन व्यासपीठ से दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने कहा। कार्तिक माह के महिमा का बखान करते हुए कथावाचक ने कहा कि इस माह में किया गया दान कई गुना अधिक हो जाता है।

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उन्होंने कहा कि सबके हाथ में एक कटोरा और थर्मामीटर है। वह कटोरे को भरने के लिए लालायित रहता है। दूसरों को वह मीटर से नापता है पर वह अपने आप को नाप ले तो सारी समस्या समाप्त हो जाए। लोभ का त्याग करने से सब में उसे भगवान का ही दर्शन होगा। उन्होंने कहा जब महादेव विवाह रचाने जा रहें थे तब किसी ने कहा कि अरे प्रभू विवाह के लिए लोग घोड़े पर सवार होकर जाते हैं। तब शिव ने कहा कि घोड़ा काम का प्रतीक है जबकि धर्म का प्रतीक बैल है। मैं बैल पर सवार होकर अपनी धर्म पत्नी लेने जा रहा हूं, इसलिए बैल पर सवार होकर जा रहा हूं। बाबा शिव के गुप्तेश्वर तीर्थ स्थल पर बाबा का श्रृंगार गुप्तेश्वर तीर्थ स्थल में आधे में शिव तो आधे में माता पार्वती के रूप में किया जाता है। यह श्रृंगार माता गौरी ने भोलेनाथ का उनके कहने पर माता गौरी ने गोपी के रूप में किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है। कथा आरम्भ होने के पूर्व चौथे दिन के यजमान रिकू सिंह ने व्यास पीठ की पूजा अर्चना किया। कथा में मनोज श्रीवास्तव, मौजी दूबे, संजय अग्रवाल, महेंद्र जायसवाल, रमाकांत दुबे, पुष्पराज दुबे, अंकुर श्रीवास्तव, विकास दुबे, मोनू दुबे, राम कुमार तिवारी, शशि शंकर त्रिपाठी, दिनेश तिवारी, महेश तिवारी, पीडी दुबे, रविशंकर साहू, सुभाष सिंह एवं संदीप दुबे आदि रहे।


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