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एक गांव के 60 लोग फौज में देवी मां की बरस रही कृपा

विकास खंड जमालपुर अंतर्गत छोटा सा गांव विशेषरपुर माफी जिसकी कुल जनसंख्या मात्र 1400 है। यह गांव वाराणसी-मीरजापुर मार्ग से सटा हुआ है। तीन तरफ गंगा गंगा नहर व लक्षमीनिया नाला से घिरा हुआ है। यहां आजादी के बाद से युवाओं में फौज व पुलिस फोर्स में सेवा करने की लगन ऐसी लगी कि आज तक यह सिलसिला जारी है। अब तक इस गांव के साठ से अधिक लोग फौज व पुलिस सेवा से जुड़े हुए हैं। फौज में भर्ती होने के लिए गांव के युवाओं का प्रयास अनवरत जारी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 07:33 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 07:33 PM (IST)
एक गांव के 60 लोग फौज में
देवी मां की बरस रही कृपा
एक गांव के 60 लोग फौज में देवी मां की बरस रही कृपा

जागरण संवाददाता, नरायनपुर (मीरजापुर) : विकास खंड जमालपुर अंतर्गत छोटा सा गांव विशेषरपुर माफी जिसकी कुल जनसंख्या मात्र 1400 है। यह गांव वाराणसी-मीरजापुर मार्ग से सटा हुआ है। तीन तरफ गंगा, गंगा नहर व लक्षमीनिया नाला से घिरा हुआ है। यहां आजादी के बाद से युवाओं में फौज व पुलिस फोर्स में सेवा करने की लगन ऐसी लगी कि आज तक यह सिलसिला जारी है। अब तक इस गांव के साठ से अधिक लोग फौज व पुलिस सेवा से जुड़े हुए हैं। फौज में भर्ती होने के लिए गांव के युवाओं का प्रयास अनवरत जारी है। गांव वालों ने बताया कि देश की सभी बड़ी लड़ाईयों में गांव के सैनिकों ने भाग लिया लेकिन देवी मां के कृपा से आज तक एक भी सैनिक शहीद नहीं हुआ। गांव के लोगों का मानना है कि देवी मां गांव का कोई भी नुकसान नहीं होने देती हैं। इसी वजह से सभी लोगों ने मिलकर विशाल मंदिर का निर्माण कराया है। जिसके उपलक्ष्य में हर वर्ष श्रृंगार व भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस गांव के लोग आर्मी अफसर (कर्नल), बीएसएफ, सीआइएसएफ, आरपीएफ, सीआरपीएफ, एयरफोर्स, नेवी, मर्चेन्ट नेवी व पुलिस फोर्स में एसआई, एएसआई पद पर आसीन हैं। गांव के युवाओं में जोश व लगन बहुत ज्यादा है। अब भी तीन बजे भोर में जगकर वे दौड़ की तैयारी प्रतिदिन करते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग बारह फौजी सेवानिवृति के बाद स्वभाविक व दुर्घटना के कारण स्वर्गवासी हुए हैं। पूर्व सैनिक बोले

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'देवी माता के आशीर्वाद से आज तक किसी फौजी के साथ अनहोनी घटना नहीं घटी। हमारे गांव के लोगों पर मां की अछ्वुत कृपा है।'

- विजय नारायण उपाध्याय

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' सन 1965 व 71 की लड़ाई में भाग लिया। लड़ाई समाप्ति के बाद भी छुट्टी नहीं मिलने पर घर नहीं आ पाया तो घर मे मातम छा गया था। उस समय वहां से पत्र भेजने की व्यवस्था नहीं थी। बाद में जब घर आया तो गांव वालों ने गाजे बाजे के साथ स्वागत किया।'

- रामनरेश यादव

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