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पचास एकड़ खेत की भराई बाधित, विभाग बना मौन

जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश आज भी मझवां क्षेत्र झेल रहा है। कारण नलकूप संख्या दस एमजी कछवां सेकेंड की व्यवस्था बदहाल होने के कारण क्षेत्र के किसान मायूस और हलाकान हो गए है। उनके सामने भूखमरी की समस्या बनती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:14 AM (IST)
पचास एकड़ खेत की भराई बाधित, विभाग बना मौन

जागरण संवाददाता, कछवां (मीरजापुर) : जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश आज भी मझवां क्षेत्र झेल रहा है। कारण नलकूप संख्या दस एमजी कछवां सेकेंड की व्यवस्था बदहाल होने के कारण क्षेत्र के किसान मायूस और हलाकान हो गए है। उनके सामने भूखमरी की समस्या बनती जा रही है। इन सबसे बेखबर नलकूप सिचाई विभाग अपने में मस्त है। जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई लेकिन उनके कान में जूं तक नहीं रेंगता। जबकि किसानों की समस्या सबसे महत्वपूर्ण विषय है।

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किसानों का आरोप है कि स्थानीय नलकूप पर हमेशा ताला लटकता रहता है। किसान स्वत: नलकूप से पानी चालू करे और बंद करें। जब जिसको जैसे जरूरत है समस्याओं और अन्य कामों के लिए विभाग के परिसर में एक भी कर्मचारी कभी रहता ही नहीं है।

कछवां समेत मझवां विकास खंड ग्रामीण क्षेत्र में ध्वस्त नाली और खराब नलकूप पड़े है। नलकूप को बनवाने को लेकर कोई कोई फिक्र ही नहीं है। किसान राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि कछवां मेन केंद्र है जब विभाग से सटे खेतों में जाने वाले नलकूप की पूरी नालियां ध्वस्त है। गेहूं की फसल के लिए भराई नहीं हो पा रही। वही डूग्गे यादव ने बताया कि खेतों में पानी भराई के लिए खुद किसानों को नलकूप चालू करना पड़ता है। बहुत दु‌र्व्यवस्था कछवां सिचाई नलकूप विभाग में व्याप्त है। अरूण कुमार सिंह ने बताया कि नलकूप की नालियां कई जगह तो इतना ज्यादा ध्वस्त है कि मिट्टी और ईंट लगाकर नालियों से बाहर पानी बहने से रोकने का प्रयास किया जाता है। नाली ध्वस्त होने के कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है और व्यर्थ पानी बह जाता है। शशिकांत उपाध्याय ने बताया कि लगभग पचास एकड़ खेतों की सिचाई नाली ध्वस्त होने के कारण नहीं हो पा रही है।


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