Young Achievers: कश्मीर से कन्याकुमारी तक ताल ठोक रहीं मेरठ की पहलवान काजल, ऐसा रहा सफर
Young Achievers चौधरी चरण सिंह विवि के कुश्ती हाल में पहलवानी के दांवपेच सीखकर आगे बढ़ी काजल ने प्रदेश के साथ ही देश भर में अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया है। वर्तमान में वह एसएसबी दिल्ली में कार्यरत हैं। पढ़िए उनकी सफलता की कहानी।
मेरठ, [अमित तिवारी] । Young Achievers मेरठ की पहलवान देश के कोने-कोने में अपनी प्रतिभा का क्षमता दिखाकर शहर का नाम रोशन कर रही हैं। इन्हीं खिलाड़ियों में से एक पहलवान काजल नैन हैं जिन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी पहलवानी के दांवपेच दिखाए हैं। चौधरी चरण सिंह विवि के कुश्ती हाल में पहलवानी के दांवपेच सीखकर आगे बढ़ी काजल ने प्रदेश के साथ ही देश भर में अपने हुनर का शानदार प्रदर्शन किया है। वर्तमान में वह एसएसबी दिल्ली में कार्यरत हैं। एसएसबी की तरह से ही कुश्ती प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर रही हैं। काजल का अगला लक्ष्स इस साल होने वाली सीनियर कुश्ती प्रतियोगिताएं और सर्विसेस कुश्ती प्रतियोगिता है जिसके लिए वह इन दिनों दिल्ली में ही प्रशिक्षण कर रही हैं।
2013 में शुरू हुआ कुश्ती का सफर
मूल रूप से बागपत के सरूरपुर गांव की रहने वाली काजल नैन के पिता सुशील कुमार ने काजल को कुश्ती खेलने के लिए प्रेरित किया। पिता से मिली प्रेरणा और प्रोत्साहन के बाद काजल ने मेरठ आकर उन्होंने सीसीएसयू में कोच डा. जबर सिंह सोम के मार्गदर्शन में कुश्ती का ककहरा सीखना शुरू किया। साल 2013 में मेरठ में अजंता कालोनी में रहते हुए काजल ने कुश्ती सीखना शुरू किया। उसी साल प्रदेश स्तरीय सब-जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और रजत पदक जीतकर पदकवीर बनी। काजल के छोटे भाई अक्षय कुमार भी एथलीट हैं और 1,500 मीटर की दौड़ लगाते हैं।
हर प्रतियोगिता में जीततीं गई पदक
काजल ने 2014 की प्रदेश स्तरीय सब-जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। दिसंबर 2014 में हुई 34वें उत्तर प्रदेश स्टेट जूनियर रेसलिंग प्रतियोगिता में काजल ने रजत पदक जीता था। नवंबर 2017 में नंदिनी नगर में हुई 36वीं जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में काजल ने रजत पदक जीता। अक्टूबर 2017 में जौनपुर में हुई प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहीं और रजत पदक जीता। इसके साथ ही 2017 में फरवरी में हुई यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भी तीसरे स्थान पर रहीं और कांस्य पदक जीता।
नेशनल में भी छोड़ी अपनी छाप
प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के साथ ही काजल राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ती रही हैं। साल 2013 में जून में तमिलनाड़ के कन्याकुमारी में हुई पहली सब-जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में काजल ने पदक नहीं जीता लेकिन अच्छे प्रदर्शन के साथ पांचवें स्थान पर रहीं। अगले ही साल जून 2014 में कश्मीर के श्रीनगर में हुई सब-जूनियर नेशनल में कांस्य पदक जीताकर लौटीं। इसी तरह जनवचरी 2015 में केयूके में हुई आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी रेसलिंग चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत सकीं पर प्रदर्शन को सराहना मिली। उसी साल अप्रैल 2015 में 23 से 26 तक रांची में हुई सब-जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। साल 2017 में देवीलाल यूनिवर्सिटी में हुई आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। साल 2018 में जयपुर में हुई जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में भी काजल ने रजत पदक जीता था।
2018 में एसएसबी की हुईं
काजल खेल में अपनी उपलब्धियों के बल पर खेल कोटे से साल 2018 में एसएसबी में चयनित हुईं। प्रशिक्षण के बाद सेवा से जुड़ने के बाद काजल एसएसबी दिल्ली कार्यालय से जुड़ी हैं वहीं से कुश्ती प्रतियोगिताओं की तैयारी करती हैं। मेरठ आने पर वह अब भी सीसीएसयू कैंपस में अभ्यास करने जरूर जाती हैं। फरवरी 2020 में हरियाणा में हुई पुलिस रेसलिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। अब अगली सर्विस प्रतियोगिता की तैयारी चल रही है। प्रतियोगिताओं के कारण बीच-बीच में छूटी पढ़ाई को पूरा करने के लिए अब एसएसबी में कुश्ती करने के साथ ही काजल स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं बीए प्रथम वर्ष में हैं। काजल की पसंदीदा पहलवान विनेश फोगाट हैं और उनके साथ कैंप में रहते हुए काफी कुछ सीखा भी है।